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1. | इफ़िसुस में मौजूद जमाअत के फ़रिश्ते को यह लिख देना : यह उस का फ़रमान है जो अपने दहने हाथ में सात सितारे थामे रखता और सोने के सात शमादानों के दर्मियान चलता फिरता है। |
2. | मैं तेरे कामों को जानता हूँ, तेरी सख़्त मेहनत और तेरी साबितक़दमी को। मैं जानता हूँ कि तू बुरे लोगों को बर्दाश्त नहीं कर सकता, कि तू ने उन की पड़ताल की है जो रसूल होने का दावा करते हैं, हालाँकि वह रसूल नहीं हैं। तुझे तो पता चल गया है कि वह झूटे थे। |
3. | तू मेरे नाम की ख़ातिर साबितक़दम रहा और बर्दाश्त करते करते थका नहीं। |
4. | लेकिन मुझे तुझ से यह शिकायत है, तू मुझे उस तरह पियार नहीं करता जिस तरह पहले करता था। |
5. | अब ख़याल कर कि तू कहाँ से गिर गया है। तौबा करके वह कुछ कर जो तू पहले करता था, वर्ना मैं आ कर तेरे शमादान को उस की जगह से हटा दूँगा। |
6. | लेकिन यह बात तेरे हक़ में है, तू मेरी तरह नीकुलियों के कामों से नफ़रत करता है। |
7. | जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूह-उल-क़ुद्स जमाअतों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं ज़िन्दगी के दरख़्त का फल खाने को दूँगा, उस दरख़्त का फल जो अल्लाह के फ़िर्दौस में है। |
8. | स्मुर्ना में मौजूद जमाअत के फ़रिश्ते को यह लिख देना : यह उस का फ़रमान है जो अव्वल और आख़िर है, जो मर गया था और दुबारा ज़िन्दा हुआ। |
9. | मैं तेरी मुसीबत और ग़ुर्बत को जानता हूँ। लेकिन हक़ीक़त में तू दौलतमन्द है। मैं उन लोगों के बुह्तान से वाक़िफ़ हूँ जो कहते हैं कि वह यहूदी हैं हालाँकि हैं नहीं। असल में वह इब्लीस की जमाअत हैं। |
10. | जो कुछ तुझे झेलना पड़ेगा उस से मत डरना। देख, इब्लीस तुझे आज़्माने के लिए तुम में से बाज़ को जेल में डाल देगा, और दस दिन तक तुझे ईज़ा पहुँचाई जाएगी। मौत तक वफ़ादार रह तो मैं तुझे ज़िन्दगी का ताज दूँगा। |
11. | जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूह-उल-क़ुद्स जमाअतों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे दूसरी मौत से नुक़्सान नहीं पहुँचेगा। |
12. | पिर्गमुन में मौजूद जमाअत के फ़रिश्ते को यह लिख देना : यह उस का फ़रमान है जिस के पास दोधारी तेज़ तल्वार है। |
13. | मैं जानता हूँ कि तू कहाँ रहता है, वहाँ जहाँ इब्लीस का तख़्त है। ताहम तू मेरे नाम का वफ़ादार रहा है। तू ने उन दिनों में भी मुझ पर ईमान रखने का इन्कार न किया जब मेरा वफ़ादार गवाह अनतिपास तुम्हारे पास शहीद हुआ, वहाँ जहाँ इब्लीस बसता है। |
14. | लेकिन मुझे तुझ से कई बातों की शिकायत है। तेरे पास ऐसे लोग हैं जो बलआम की तालीम की पैरवी करते हैं। क्यूँकि बलआम ने बलक़ को सिखाया कि वह किस तरह इस्राईलियों को गुनाह करने पर उकसा सकता है यानी बुतों को पेश की गई क़ुर्बानियाँ खाने और ज़िना करने से। |
15. | इसी तरह तेरे पास भी ऐसे लोग हैं, जो नीकुलियों की तालीम की पैरवी करते हैं। |
16. | अब तौबा कर! वर्ना मैं जल्द ही तेरे पास आ कर अपने मुँह की तल्वार से उन के साथ लड़ूँगा। |
17. | जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूह-उल-क़ुद्स जमाअतों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं पोशीदा मन्न में से दूँगा। मैं उसे एक सफ़ेद पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम लिखा होगा, ऐसा नाम जो सिर्फ़ मिलने वाले को मालूम होगा। |
18. | थुआतीरा में मौजूद जमाअत के फ़रिश्ते को यह लिख देना : यह अल्लाह के फ़र्ज़न्द का फ़रमान है जिस की आँखें आग के शोलों और पाँओ दमकते पीतल की मानिन्द हैं। |
19. | मैं तेरे कामों को जानता हूँ यानी तेरी मुहब्बत और ईमान, तेरी ख़िदमत और साबितक़दमी, और यह कि इस वक़्त तू पहले की निस्बत कहीं ज़ियादा कर रहा है। |
20. | लेकिन मुझे तुझ से यह शिकायत है, तू उस औरत ईज़बिल को जो अपने आप को नबिया कहती है काम करने देता है, हालाँकि यह अपनी तालीम से मेरे ख़ादिमों को सहीह राह से दूर करके उन्हें ज़िना करने और बुतों को पेश की गई क़ुर्बानियाँ खाने पर उकसाती है। |
21. | मैं ने उसे काफ़ी देर से तौबा करने का मौक़ा दिया है, लेकिन वह इस के लिए तय्यार नहीं है। |
22. | चुनाँचे मैं उसे यूँ मारूँगा कि वह बिस्तर पर पड़ी रहेगी। और अगर वह जो उस के साथ ज़िना कर रहे हैं अपनी ग़लत हर्कतों से तौबा न करें तो मैं उन्हें शदीद मुसीबत में फंसाऊँगा। |
23. | हाँ, मैं उस के फ़र्ज़न्दों को मार डालूँगा। फिर तमाम जमाअतें जान लेंगी कि मैं ही ज़हनों और दिलों को परखता हूँ, और मैं ही तुम में से हर एक को उस के कामों का बदला दूँगा। |
24. | लेकिन थुआतीरा की जमाअत के ऐसे लोग भी हैं जो इस तालीम की पैरवी नहीं करते, और जिन्हों ने वह कुछ नहीं जाना जिसे इन लोगों ने “इब्लीस के गहरे भेद” का नाम दिया है। तुम्हें मैं बताता हूँ कि मैं तुम पर कोई और बोझ नहीं डालूँगा। |
25. | लेकिन इतना ज़रूर करो कि जो कुछ तुम्हारे पास है उसे मेरे आने तक मज़्बूती से थामे रखना। |
26. | जो ग़ालिब आएगा और आख़िर तक मेरे कामों पर क़ाइम रहेगा उसे मैं क़ौमों पर इख़तियार दूँगा। |
27. | हाँ, वह लोहे के शाही असा से उन पर हुकूमत करेगा, उन्हें मिट्टी के बर्तनों की तरह फोड़ डालेगा। |
28. | यानी उसे वही इख़तियार मिलेगा जो मुझे भी अपने बाप से मिला है। ऐसे शख़्स को मैं सुब्ह का सितारा भी दूँगा। |
29. | जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूह-उल-क़ुद्स जमाअतों को क्या कुछ बता रहा है। |
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