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1. | दाऊद का वह मातमी गीत जो उस ने कूश बिन्यमीनी की बातों पर रब्ब की तम्जीद में गाया। ऐ रब्ब मेरे ख़ुदा, मैं तुझ में पनाह लेता हूँ। मुझे उन सब से बचा कर छुटकारा दे जो मेरा ताक़्क़ुब कर रहे हैं, |
2. | वर्ना वह शेरबबर की तरह मुझे फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर देंगे, और बचाने वाला कोई नहीं होगा। |
3. | ऐ रब्ब मेरे ख़ुदा, अगर मुझ से यह कुछ सरज़द हुआ और मेरे हाथ क़ुसूरवार हों, |
4. | अगर मैं ने उस से बुरा सुलूक किया जिस का मेरे साथ झगड़ा नहीं था या अपने दुश्मन को ख़्वाह-म-ख़्वाह लूट लिया हो |
5. | तो फिर मेरा दुश्मन मेरे पीछे पड़ कर मुझे पकड़ ले। वह मेरी जान को मिट्टी में कुचल दे, मेरी इज़्ज़त को ख़ाक में मिलाए। (सिलाह) |
6. | ऐ रब्ब, उठ और अपना ग़ज़ब दिखा! मेरे दुश्मनों के तैश के ख़िलाफ़ खड़ा हो जा। मेरी मदद करने के लिए जाग उठ! तू ने ख़ुद अदालत का हुक्म दिया है। |
7. | अक़्वाम तेरे इर्दगिर्द जमा हो जाएँ जब तू उन के ऊपर बुलन्दियों पर तख़्तनशीन हो जाए। |
8. | रब्ब अक़्वाम की अदालत करता है। ऐ रब्ब, मेरी रास्तबाज़ी और बेगुनाही का लिहाज़ करके मेरा इन्साफ़ कर। |
9. | ऐ रास्त ख़ुदा, जो दिल की गहराइयों को तह तक जाँच लेता है, बेदीनों की शरारतें ख़त्म कर और रास्तबाज़ को क़ाइम रख। |
10. | अल्लाह मेरी ढाल है। जो दिल से सीधी राह पर चलते हैं उन्हें वह रिहाई देता है। |
11. | अल्लाह आदिल मुन्सिफ़ है, ऐसा ख़ुदा जो रोज़ाना लोगों की सरज़निश करता है। |
12. | यक़ीनन इस वक़्त भी दुश्मन अपनी तल्वार को तेज़ कर रहा, अपनी कमान को तान कर निशाना बाँध रहा है। |
13. | लेकिन जो मुहलक हथियार और जलते हुए तीर उस ने तय्यार कर रखे हैं उन की ज़द में वह ख़ुद ही आ जाएगा। |
14. | देख, बुराई का बीज उस में उग आया है। अब वह शरारत से हामिला हो कर फिरता और झूट के बच्चे जन्म देता है। |
15. | लेकिन जो गढ़ा उस ने दूसरों को फंसाने के लिए खोद खोद कर तय्यार किया उस में ख़ुद गिर पड़ा है। |
16. | वह ख़ुद अपनी शरारत की ज़द में आएगा, उस का ज़ुल्म उस के अपने सर पर नाज़िल होगा। |
17. | मैं रब्ब की सिताइश करूँगा, क्यूँकि वह रास्त है। मैं रब्ब तआला के नाम की तारीफ़ में गीत गाऊँगा। |
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