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1. | दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। तारदार साज़ों के साथ गाना है। ऐ रब्ब, ग़ुस्से में मुझे सज़ा न दे, तैश में मुझे तम्बीह न कर। |
2. | ऐ रब्ब, मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं निढाल हूँ। ऐ रब्ब, मुझे शिफ़ा दे, क्यूँकि मेरे आज़ा दह्शतज़दा हैं। |
3. | मेरी जान निहायत ख़ौफ़ज़दा है। ऐ रब्ब, तू कब तक देर करेगा? |
4. | ऐ रब्ब, वापस आ कर मेरी जान को बचा। अपनी शफ़्क़त की ख़ातिर मुझे छुटकारा दे। |
5. | क्यूँकि मुर्दा तुझे याद नहीं करता। पाताल में कौन तेरी सिताइश करेगा? |
6. | मैं कराहते कराहते थक गया हूँ। पूरी रात रोने से बिस्तर भीग गया है, मेरे आँसूओं से पलंग गल गया है। |
7. | ग़म के मारे मेरी आँखें सूज गई हैं, मेरे मुख़ालिफ़ों के हम्लों से वह ज़ाए होती जा रही हैं। |
8. | ऐ बदकारो, मुझ से दूर हो जाओ, क्यूँकि रब्ब ने मेरी आह-ओ-बुका सुनी है। |
9. | रब्ब ने मेरी इल्तिजाओं को सुन लिया है, मेरी दुआ रब्ब को क़बूल है। |
10. | मेरे तमाम दुश्मनों की रुस्वाई हो जाएगी, और वह सख़्त घबरा जाएँगे। वह मुड़ कर अचानक ही शर्मिन्दा हो जाएँगे। |
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