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1. | दाऊद का ज़बूर। ऐ रब्ब, मेरा इन्साफ़ कर, क्यूँकि मेरा चाल-चलन बेक़ुसूर है। मैं ने रब्ब पर भरोसा रखा है, और मैं डाँवाँडोल नहीं हो जाऊँगा। |
2. | ऐ रब्ब, मुझे जाँच ले, मुझे आज़्मा कर दिल की तह तक मेरा मुआइना कर। |
3. | क्यूँकि तेरी शफ़्क़त मेरी आँखों के सामने रही है, मैं तेरी सच्ची राह पर चलता रहा हूँ। |
4. | न मैं धोकेबाज़ों की मजलिस में बैठता, न चालाक लोगों से रिफ़ाक़त रखता हूँ। |
5. | मुझे शरीरों के इजतिमाओं से नफ़रत है, बेदीनों के साथ मैं बैठता भी नहीं। |
6. | ऐ रब्ब, मैं अपने हाथ धो कर अपनी बेगुनाही का इज़्हार करता हूँ। मैं तेरी क़ुर्बानगाह के गिर्द फिर कर |
7. | बुलन्द आवाज़ से तेरी हम्द-ओ-सना करता, तेरे तमाम मोजिज़ात का एलान करता हूँ। |
8. | ऐ रब्ब, तेरी सुकूनतगाह मुझे पियारी है, जिस जगह तेरा जलाल ठहरता है वह मुझे अज़ीज़ है। |
9. | मेरी जान को मुझ से छीन कर मुझे गुनाहगारों में शामिल न कर! मेरी ज़िन्दगी को मिटा कर मुझे ख़ूँख़्वारों में शुमार न कर, |
10. | ऐसे लोगों में जिन के हाथ शर्मनाक हर्कतों से आलूदा हैं, जो हर वक़्त रिश्वत खाते हैं। |
11. | क्यूँकि मैं बेगुनाह ज़िन्दगी गुज़ारता हूँ। फ़िद्या दे कर मुझे छुटकारा दे! मुझ पर मेहरबानी कर! |
12. | मेरे पाँओ हमवार ज़मीन पर क़ाइम हो गए हैं, और मैं इजतिमाओं में रब्ब की सिताइश करूँगा। |
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