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1. | दाऊद का ज़बूर। ज़मीन और जो कुछ उस पर है रब्ब का है, दुनिया और उस के बाशिन्दे उसी के हैं। |
2. | क्यूँकि उस ने ज़मीन की बुन्याद समुन्दरों पर रखी और उसे दरयाओं पर क़ाइम किया। |
3. | किस को रब्ब के पहाड़ पर चढ़ने की इजाज़त है? कौन उस के मुक़द्दस मक़ाम में खड़ा हो सकता है? |
4. | वह जिस के हाथ पाक और दिल साफ़ हैं, जो न फ़रेब का इरादा रखता, न क़सम खा कर झूट बोलता है। |
5. | वह रब्ब से बर्कत पाएगा, उसे अपनी नजात के ख़ुदा से रास्ती मिलेगी। |
6. | यह होगा उन लोगों का हाल जो अल्लाह की मर्ज़ी दरयाफ़्त करते, जो तेरे चिहरे के तालिब होते हैं, ऐ याक़ूब के ख़ुदा। (सिलाह) |
7. | ऐ फाटको, खुल जाओ! ऐ क़दीम दरवाज़ो, पूरे तौर पर खुल जाओ ताकि जलाल का बादशाह दाख़िल हो जाए। |
8. | जलाल का बादशाह कौन है? रब्ब जो क़वी और क़ादिर है, रब्ब जो जंग में ज़ोरावर है। |
9. | ऐ फाटको, खुल जाओ! ऐ क़दीम दरवाज़ो, पूरे तौर पर खुल जाओ ताकि जलाल का बादशाह दाख़िल हो जाए। |
10. | जलाल का बादशाह कौन है? रब्ब-उल-अफ़्वाज, वही जलाल का बादशाह है। (सिलाह) |
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