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1. | अक़्वाम क्यूँ तैश में आ गई हैं? उम्मतें क्यूँ बेकार साज़िशें कर रही हैं? |
2. | दुनिया के बादशाह उठ खड़े हुए, हुक्मरान रब्ब और उस के मसीह के ख़िलाफ़ जमा हो गए हैं। |
3. | वह कहते हैं, “आओ, हम उन की ज़न्जीरों को तोड़ कर आज़ाद हो जाएँ, उन के रस्सों को दूर तक फैंक दें।” |
4. | लेकिन जो आस्मान पर तख़्तनशीन है वह हँसता है, रब्ब उन का मज़ाक़ उड़ाता है। |
5. | फिर वह ग़ुस्से से उन्हें डाँटता, अपना शदीद ग़ज़ब उन पर नाज़िल करके उन्हें डराता है। |
6. | वह फ़रमाता है, “मैं ने ख़ुद अपने बादशाह को अपने मुक़द्दस पहाड़ सिय्यून पर मुक़र्रर किया है!” |
7. | आओ, मैं रब्ब का फ़रमान सुनाऊँ। उस ने मुझ से कहा, “तू मेरा बेटा है, आज मैं तेरा बाप बन गया हूँ। |
8. | मुझ से माँग तो मैं तुझे मीरास में तमाम अक़्वाम अता करूँगा, दुनिया की इन्तिहा तक सब कुछ बख़्श दूँगा। |
9. | तू उन्हें लोहे के शाही असा से पाश पाश करेगा, उन्हें मिट्टी के बर्तनों की तरह चिकना-चूर करेगा।” |
10. | चुनाँचे ऐ बादशाहो, समझ से काम लो! ऐ दुनिया के हुक्मरानो, तर्बियत क़बूल करो! |
11. | ख़ौफ़ करते हुए रब्ब की ख़िदमत करो, लरज़ते हुए ख़ुशी मनाओ। |
12. | बेटे को बोसा दो, ऐसा न हो कि वह ग़ुस्से हो जाए और तुम रास्ते में ही हलाक हो जाओ। क्यूँकि वह एक दम तैश में आ जाता है। मुबारक हैं वह सब जो उस में पनाह लेते हैं। |
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