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1. | दाऊद का एक सुनहरा ज़बूर। ऐ अल्लाह, मुझे मह्फ़ूज़ रख, क्यूँकि तुझ में मैं पनाह लेता हूँ। |
2. | मैं ने रब्ब से कहा, “तू मेरा आक़ा है, तू ही मेरी ख़ुशहाली का वाहिद सरचश्मा है।” |
3. | मुल्क में जो मुक़द्दसीन हैं वही मेरे सूर्मे हैं, उन ही को मैं पसन्द करता हूँ। |
4. | लेकिन जो दीगर माबूदों के पीछे भागे रहते हैं उन की तक्लीफ़ बढ़ती जाएगी। न मैं उन की ख़ून की क़ुर्बानियों को पेश करूँगा, न उन के नामों का ज़िक्र तक करूँगा। |
5. | ऐ रब्ब, तू मेरी मीरास और मेरा हिस्सा है। मेरा नसीब तेरे हाथ में है। |
6. | जब क़ुरआ डाला गया तो मुझे ख़ुशगवार ज़मीन मिल गई। यक़ीनन मेरी मीरास मुझे बहुत पसन्द है। |
7. | मैं रब्ब की सिताइश करूँगा जिस ने मुझे मश्वरा दिया है। रात को भी मेरा दिल मेरी हिदायत करता है। |
8. | रब्ब हर वक़्त मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दहने हाथ रहता है, इस लिए मैं नहीं डगमगाऊँगा। |
9. | इस लिए मेरा दिल शादमान है, मेरी जान ख़ुशी के नारे लगाती है। हाँ, मेरा बदन पुरसुकून ज़िन्दगी गुज़ारेगा। |
10. | क्यूँकि तू मेरी जान को पाताल में नहीं छोड़ेगा, और न अपने मुक़द्दस को गलने सड़ने की नौबत तक पहुँचने देगा। |
11. | तू मुझे ज़िन्दगी की राह से आगाह करता है। तेरे हुज़ूर से भरपूर ख़ुशियाँ, तेरे दहने हाथ से अबदी मसर्रतें हासिल होती हैं। |
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