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1. | दाऊद का ज़बूर। ऐ रब्ब, कौन तेरे ख़ैमे में ठहर सकता है? किस को तेरे मुक़द्दस पहाड़ पर रहने की इजाज़त है? |
2. | वह जिस का चाल-चलन बेगुनाह है, जो रास्तबाज़ ज़िन्दगी गुज़ार कर दिल से सच्च बोलता है। |
3. | ऐसा शख़्स अपनी ज़बान से किसी पर तुहमत नहीं लगाता। न वह अपने पड़ोसी पर ज़ियादती करता, न उस की बेइज़्ज़ती करता है। |
4. | वह मर्दूद को हक़ीर जानता लेकिन ख़ुदातरस की इज़्ज़त करता है। जो वादा उस ने क़सम खा कर किया उसे पूरा करता है, ख़्वाह उसे कितना ही नुक़्सान क्यूँ न पहुँचे। |
5. | वह सूद लिए बग़ैर उधार देता है और उस की रिश्वत क़बूल नहीं करता जो बेगुनाह का हक़ मारना चाहता है। ऐसा शख़्स कभी डाँवाँडोल नहीं होगा। |
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