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1. | रब्ब ग़लत तराज़ू से घिन खाता है, वह सहीह तराज़ू ही से ख़ुश होता है। |
2. | जहाँ तकब्बुर है वहाँ बदनामी भी क़रीब ही रहती है, लेकिन जो हलीम है उस के दामन में हिक्मत रहती है। |
3. | सीधी राह पर चलने वालों की दियानतदारी उन की राहनुमाई करती जबकि बेवफ़ाओं की नमकहरामी उन्हें तबाह करती है। |
4. | ग़ज़ब के दिन दौलत का कोई फ़ाइदा नहीं जबकि रास्तबाज़ी लोगों की जान को छुड़ाती है। |
5. | बेइल्ज़ाम की रास्तबाज़ी उस का रास्ता हमवार बना देती है जबकि बेदीन की बुरी हर्कतें उसे गिरा देती हैं। |
6. | सीधी राह पर चलने वालों की रास्तबाज़ी उन्हें छुड़ा देती जबकि बेवफ़ाओं का लालच उन्हें फंसा देता है। |
7. | दम तोड़ते वक़्त बेदीन की सारी उम्मीद जाती रहती है, जिस दौलत की तवक़्क़ो उस ने की वह जाती रहती है। |
8. | रास्तबाज़ की जान मुसीबत से छूट जाती है, और उस की जगह बेदीन फंस जाता है। |
9. | काफ़िर अपने मुँह से अपने पड़ोसी को तबाह करता है, लेकिन रास्तबाज़ों का इल्म उन्हें छुड़ाता है। |
10. | जब रास्तबाज़ काम्याब हों तो पूरा शहर जश्न मनाता है, जब बेदीन हलाक हों तो ख़ुशी के नारे बुलन्द हो जाते हैं। |
11. | सीधी राह पर चलने वालों की बर्कत से शहर तरक़्क़ी करता है, लेकिन बेदीन के मुँह से वह मिस्मार हो जाता है। |
12. | नासमझ आदमी अपने पड़ोसी को हक़ीर जानता है जबकि समझदार आदमी ख़ामोश रहता है। |
13. | तुहमत लगाने वाला दूसरों के राज़ फ़ाश करता है, लेकिन क़ाबिल-ए-एतिमाद शख़्स वह भेद पोशीदा रखता है जो उस के सपुर्द किया गया हो। |
14. | जहाँ क़ियादत की कमी है वहाँ क़ौम का तनज़्ज़ुल यक़ीनी है, जहाँ मुशीरों की कस्रत है वहाँ क़ौम फ़त्हयाब रहेगी। |
15. | जो अजनबी का ज़ामिन हो जाए उसे यक़ीनन नुक़्सान पहुँचेगा, जो ज़ामिन बनने से इन्कार करे वह मह्फ़ूज़ रहेगा। |
16. | नेक औरत इज़्ज़त से और ज़ालिम आदमी दौलत से लिपटे रहते हैं। |
17. | शफ़ीक़ का अच्छा सुलूक उसी के लिए फ़ाइदामन्द है जबकि ज़ालिम का बुरा सुलूक उसी के लिए नुक़्सानदिह है। |
18. | जो कुछ बेदीन कमाता है वह फ़रेबदिह है, लेकिन जो रास्ती का बीज बोए उस का अज्र यक़ीनी है। |
19. | रास्तबाज़ी का फल ज़िन्दगी है जबकि बुराई के पीछे भागने वाले का अन्जाम मौत है। |
20. | रब्ब कजदिलों से घिन खाता है, वह बेइल्ज़ाम राह पर चलने वालों ही से ख़ुश होता है। |
21. | यक़ीन करो, बदकार सज़ा से नहीं बचेगा जबकि रास्तबाज़ों के फ़र्ज़न्द छूट जाएँगे। |
22. | जिस तरह सूअर की थूथनी में सोने का छल्ला खटकता है उसी तरह ख़ूबसूरत औरत की बेतमीज़ी खटकती है। |
23. | अल्लाह रास्तबाज़ों की आर्ज़ू अच्छी चीज़ों से पूरी करता है, लेकिन उस का ग़ज़ब बेदीनों की उम्मीद पर नाज़िल होता है। |
24. | एक आदमी की दौलत में इज़ाफ़ा होता है, गो वह फ़य्याज़दिली से तक़्सीम करता है। दूसरे की ग़ुर्बत में इज़ाफ़ा होता है, गो वह हद्द से ज़ियादा कंजूस है। |
25. | फ़य्याज़दिल ख़ुशहाल रहेगा, जो दूसरों को तर-ओ-ताज़ा करे वह ख़ुद ताज़ादम रहेगा। |
26. | लोग गन्दुम के ज़खीराअन्दोज़ पर लानत भेजते हैं, लेकिन जो गन्दुम को बाज़ार में आने देता है उस के सर पर बर्कत आती है। |
27. | जो भलाई की तलाश में रहे वह अल्लाह की मन्ज़ूरी चाहता है, लेकिन जो बुराई की तलाश में रहे वह ख़ुद बुराई के फंदे में फंस जाएगा। |
28. | जो अपनी दौलत पर भरोसा रखे वह गिर जाएगा, लेकिन रास्तबाज़ हरे-भरे पत्तों की तरह फलें फूलेंगे। |
29. | जो अपने घर में गड़बड़ पैदा करे वह मीरास में हवा ही पाएगा। अहमक़ दानिशमन्द का नौकर बनेगा। |
30. | रास्तबाज़ का फल ज़िन्दगी का दरख़्त है, और दानिशमन्द आदमी जानें जीतता है। |
31. | रास्तबाज़ को ज़मीन पर ही अज्र मिलता है। तो फिर बेदीन और गुनाहगार सज़ा क्यूँ न पाएँ? |
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