Jude (1/1) |
1. | यह ख़त ईसा मसीह के ख़ादिम और याक़ूब के भाई यहूदाह की तरफ़ से है। मैं उन्हें लिख रहा हूँ जिन्हें बुलाया गया है, जो ख़ुदा बाप में पियारे हैं और ईसा मसीह के लिए मह्फ़ूज़ रखे गए हैं। |
2. | अल्लाह आप को रहम, सलामती और मुहब्बत कस्रत से अता करे। |
3. | अज़ीज़ो, गो मैं आप को उस नजात के बारे में लिखने का बड़ा शौक़ रखता हूँ जिस में हम सब शरीक हैं, लेकिन अब मैं आप को एक और बात के बारे में लिखना चाहता हूँ। मैं इस में आप को नसीहत करने की ज़रूरत मह्सूस करता हूँ कि आप उस ईमान की ख़ातिर जिद्द-ओ-जह्द करें जो एक ही बार सदा के लिए मुक़द्दसीन के सपुर्द कर दिया गया है। |
4. | क्यूँकि कुछ लोग आप के दर्मियान घुस आए हैं जिन्हें बहुत अर्सा पहले मुज्रिम ठहराया जा चुका है। उन के बारे में यह लिखा गया है कि वह बेदीन हैं जो हमारे ख़ुदा के फ़ज़्ल को तोड़-मरोड़ कर अय्याशी का बाइस बना देते हैं और हमारे वाहिद आक़ा और ख़ुदावन्द ईसा मसीह का इन्कार करते हैं। |
5. | गो आप यह सब कुछ जानते हैं, फिर भी मैं आप को इस की याद दिलाना चाहता हूँ कि अगरचि ख़ुदावन्द ने अपनी क़ौम को मिस्र से निकाल कर बचा लिया था तो भी उस ने बाद में उन्हें हलाक कर दिया जो ईमान नहीं रखते थे। |
6. | उन फ़रिश्तों को याद करें जो उस दाइरा-ए-इख़तियार के अन्दर न रहे जो अल्लाह ने उन के लिए मुक़र्रर किया था बल्कि जिन्हों ने अपनी रिहाइशगाह को तर्क कर दिया। उन्हें उस ने तारीकी में मह्फ़ूज़ रखा है जहाँ वह अबदी ज़न्जीरों में जकड़े हुए रोज़-ए-अज़ीम की अदालत का इन्तिज़ार कर रहे हैं। |
7. | सदूम, अमूरा और उन के इर्दगिर्द के शहरों को भी मत भूलना, जिन के बाशिन्दे इन फ़रिश्तों की तरह ज़िनाकारी और ग़ैरफ़ित्री सोह्बत के पीछे पड़े रहे। यह लोग अबदी आग की सज़ा भुगतते हुए सब के लिए एक इब्रतनाक मिसाल हैं। |
8. | तो भी इन लोगों ने उन का सा रवय्या अपना लिया है। अपने ख़्वाबों की बिना पर वह अपने बदनों को आलूदा कर लेते, ख़ुदावन्द का इख़तियार रद्द करते और जलाली हस्तियों पर कुफ़्र बकते हैं। |
9. | इन के मुक़ाबले में सरदार फ़रिश्ते मीकाएल के रवय्ये पर ग़ौर करें। जब वह इब्लीस से झगड़ते वक़्त मूसा की लाश के बारे में बह्स-मुबाहसा कर रहा था तो उस ने इब्लीस पर कुफ़्र बकने का फ़ैसला करने की जुरअत न की बल्कि सिर्फ़ इतना ही कहा, “रब्ब आप को डाँटे!” |
10. | लेकिन यह लोग हर ऐसी बात के बारे में कुफ़्र बकते हैं जो उन की समझ में नहीं आती। और जो कुछ वह फ़ित्री तौर पर बेसमझ जानवरों की तरह समझते हैं वही उन्हें तबाह कर देता है। |
11. | उन पर अफ़्सोस! उन्हों ने क़ाबील की राह इख़तियार की है। पैसों के लालच में उन्हों ने अपने आप को पूरे तौर पर उस ग़लती के हवाले कर दिया है जो बलआम ने की। वह क़ोरह की तरह बाग़ी हो कर हलाक हुए हैं। |
12. | जब यह लोग ख़ुदावन्द की मुहब्बत को याद करने वाले रिफ़ाक़ती खानों में शरीक होते हैं तो रिफ़ाक़त के लिए धब्बे बन जाते हैं। यह डरे बग़ैर खाना खा खा कर उस से महज़ूज़ होते हैं। यह ऐसे चरवाहे हैं जो सिर्फ़ अपनी गल्लाबानी करते हैं। यह ऐसे बादल हैं जो हवाओं के ज़ोर से चलते तो हैं लेकिन बरसते नहीं। यह सर्दियों के मौसम में ऐसे दरख़्तों की मानिन्द हैं जो दो लिहाज़ से मुर्दा हैं। वह फल नहीं लाते और जड़ से उखड़े हुए हैं। |
13. | यह समुन्दर की बेकाबू लहरों की मानिन्द हैं जो अपनी शर्मनाक हर्कतों की झाग उछालती हैं। यह आवारा सितारे हैं जिन के लिए अल्लाह ने सब से गहरी तारीकी में एक दाइमी जगह मख़्सूस की है। |
14. | आदम के बाद सातवें आदमी हनूक ने इन लोगों के बारे में यह पेशगोई की, “देखो, ख़ुदावन्द अपने बेशुमार मुक़द्दस फ़रिश्तों के साथ |
15. | सब की अदालत करने आएगा। वह उन्हें उन तमाम बेदीन हर्कतों के सबब से मुज्रिम ठहराएगा जो उन से सरज़द हुई हैं और उन तमाम सख़्त बातों की वजह से जो बेदीन गुनाहगारों ने उस के ख़िलाफ़ की हैं।” |
16. | यह लोग बुड़बुड़ाते और शिकायत करते रहते हैं। यह सिर्फ़ अपनी ज़ाती ख़्वाहिशात पूरी करने के लिए ज़िन्दगी गुज़ारते हैं। यह अपने बारे में शेख़ी मारते और अपने फ़ाइदे के लिए दूसरों की ख़ुशामद करते हैं। |
17. | लेकिन आप मेरे अज़ीज़ो, वह कुछ याद रखें जिस की पेशगोई हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के रसूलों ने की थी। |
18. | उन्हों ने आप से कहा था, “आख़िरी दिनों में मज़ाक़ उड़ाने वाले होंगे जो अपनी बेदीन ख़्वाहिशात पूरी करने के लिए ही ज़िन्दगी गुज़ारेंगे।” |
19. | यह वह हैं जो पार्टीबाज़ी करते, जो दुनियावी सोच रखते हैं और जिन के पास रूह-उल-क़ुद्स नहीं है। |
20. | लेकिन आप मेरे अज़ीज़ो, अपने आप को अपने मुक़द्दसतरीन ईमान की बुन्याद पर तामीर करें और रूह-उल-क़ुद्स में दुआ करें। |
21. | अपने आप को अल्लाह की मुहब्बत में क़ाइम रखें और इस इन्तिज़ार में रहें कि हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का रहम आप को अबदी ज़िन्दगी तक पहुँचाए। |
22. | उन पर रहम करें जो शक में पड़े हैं। |
23. | बाज़ को आग में से छीन कर बचाएँ और बाज़ पर रहम करें, लेकिन ख़ौफ़ के साथ। बल्कि उस शख़्स के लिबास से भी नफ़रत करें जो अपनी हर्कतों से गुनाह से आलूदा हो गया है। |
24. | उस की तम्जीद हो जो आप को ठोकर खाने से मह्फ़ूज़ रख सकता है और आप को अपने जलाल के सामने बेदाग़ और बड़ी ख़ुशी से मामूर करके खड़ा कर सकता है। |
25. | उस वाहिद ख़ुदा यानी हमारे नजातदिहन्दा का जलाल हो। हाँ, हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के वसीले से उसे जलाल, अज़्मत, क़ुद्रत और इख़तियार अज़ल से अब भी हो और अबद तक रहे। आमीन। |
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