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1. | रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, “जा, अपनी बीवी को दुबारा पियार कर, हालाँकि उस का आशिक़ है जिस से उस ने ज़िना किया है। उसे यूँ पियार कर जिस तरह रब्ब इस्राईलियों को पियार करता है, हालाँकि उन का रुख़ दीगर माबूदों की तरफ़ है और उन्हें उन ही की अंगूर की टिक्कियाँ पसन्द हैं।” |
2. | तब मैं ने चाँदी के 15 सिक्के और जौ के 195 किलोग्राम दे कर उसे वापस ख़रीद लिया। |
3. | मैं ने उस से कहा, “अब तुझे बड़े अर्से तक मेरे साथ रहना है। इतने में न ज़िना कर, न किसी आदमी से सोह्बत रख। मैं भी बड़ी देर तक तुझ से हमबिसतर नहीं हूँगा।” |
4. | इस्राईल का यही हाल होगा। बड़ी देर तक न उन का बादशाह होगा, न राहनुमा, न क़ुर्बानी का इन्तिज़ाम, न यादगार पत्थर, न इमाम का बालापोश। उन के पास बुत तक भी नहीं होंगे। |
5. | इस के बाद इस्राईली वापस आ कर रब्ब अपने ख़ुदा और दाऊद अपने बादशाह को तलाश करेंगे। आख़िरी दिनों में वह लरज़ते हुए रब्ब और उस की भलाई की तरफ़ रुजू करेंगे। |
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