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1. | फिर रब्ब ने मूसा से कहा, |
2. | “मैं ने यहूदाह के क़बीले के बज़लीएल बिन ऊरी बिन हूर को चुन लिया है ताकि वह मुक़द्दस ख़ैमे की तामीर में राहनुमाई करे। |
3. | मैं ने उसे इलाही रूह से मामूर करके हिक्मत, समझ और तामीर के हर काम के लिए दरकार इल्म दे दिया है। |
4. | वह नक़्शे बना कर उन के मुताबिक़ सोने, चाँदी और पीतल की चीज़ें बना सकता है। |
5. | वह जवाहिर को काट कर जड़ने की क़ाबिलियत रखता है। वह लकड़ी को तराश कर उस से मुख़्तलिफ़ चीज़ें बना सकता है। वह बहुत सारे और कामों में भी महारत रखता है। |
6. | साथ ही मैं ने दान के क़बीले के उहलियाब बिन अख़ीसमक को मुक़र्रर किया है ताकि वह हर काम में उस की मदद करे। इस के इलावा मैं ने तमाम समझदार कारीगरों को महारत दी है ताकि वह सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बना सकें जो मैं ने तुझे दी हैं। |
7. | यानी मुलाक़ात का ख़ैमा, कफ़्फ़ारे के ढकने समेत अह्द का सन्दूक़ और ख़ैमे का सारा दूसरा सामान, |
8. | मेज़ और उस का सामान, ख़ालिस सोने का शमादान और उस का सामान, बख़ूर जलाने की क़ुर्बानगाह, |
9. | जानवरों को चढ़ाने की क़ुर्बानगाह और उस का सामान, धोने का हौज़ उस ढाँचे समेत जिस पर वह रखा जाता है, |
10. | वह लिबास जो हारून और उस के बेटे मक़्दिस में ख़िदमत करने के लिए पहनते हैं, |
11. | मसह का तेल और मक़्दिस के लिए ख़ुश्बूदार बख़ूर। यह सब कुछ वह वैसे ही बनाएँ जैसे मैं ने तुझे हुक्म दिया है।” |
12. | रब्ब ने मूसा से कहा, |
13. | “इस्राईलियों को बता कि हर सबत का दिन ज़रूर मनाओ। क्यूँकि सबत का दिन एक नुमायाँ निशान है जिस से जान लिया जाएगा कि मैं रब्ब हूँ जो तुम्हें मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करता हूँ। और यह निशान मेरे और तुम्हारे दर्मियान नसल-दर-नसल क़ाइम रहेगा। |
14. | सबत का दिन ज़रूर मनाना, क्यूँकि वह तुम्हारे लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस है। जो भी उस की बेहुरमती करे वह ज़रूर जान से मारा जाए। जो भी इस दिन काम करे उसे उस की क़ौम में से मिटाया जाए। |
15. | छः दिन काम करना, लेकिन सातवाँ दिन आराम का दिन है। वह रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस है। |
16. | इस्राईलियों को हाल में और मुस्तक़बिल में सबत का दिन अबदी अह्द समझ कर मनाना है। |
17. | वह मेरे और इस्राईलियों के दर्मियान अबदी निशान होगा। क्यूँकि रब्ब ने छः दिन के दौरान आस्मान-ओ-ज़मीन को बनाया जबकि सातवें दिन उस ने आराम किया और ताज़ादम हो गया।” |
18. | यह सब कुछ मूसा को बताने के बाद रब्ब ने उसे सीना पहाड़ पर शरीअत की दो तख़्तियाँ दीं। अल्लाह ने ख़ुद पत्थर की इन तख़्तियों पर तमाम बातें लिखी थीं। |
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