← Exodus (28/40) → |
1. | अपने भाई हारून और उस के बेटों नदब, अबीहू, इलीअज़र और इतमर को बुला। मैं ने उन्हें इस्राईलियों में से चुन लिया है ताकि वह इमामों की हैसियत से मेरी ख़िदमत करें। |
2. | अपने भाई हारून के लिए मुक़द्दस लिबास बनवाना जो पुरवक़ार और शानदार हों। |
3. | लिबास बनाने की ज़िम्मादारी उन तमाम लोगों को देना जो ऐसे कामों में माहिर हैं और जिन को मैं ने हिक्मत की रूह से भर दिया है। क्यूँकि जब हारून को मख़्सूस किया जाएगा और वह मुक़द्दस ख़ैमे की ख़िदमत सरअन्जाम देगा तो उसे इन कपड़ों की ज़रूरत होगी। |
4. | उस के लिए यह लिबास बनाने हैं : सीने का कीसा, बालापोश, चोग़ा, बुना हुआ ज़ेरजामा, पगड़ी और कमरबन्द। यह कपड़े अपने भाई हारून और उस के बेटों के लिए बनवाने हैं ताकि वह इमाम के तौर पर ख़िदमत कर सकें। |
5. | इन कपड़ों के लिए सोना और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया जाए। |
6. | बालापोश को भी सोने और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से बनाना है। उस पर किसी माहिर कारीगर से कड़ाई का काम करवाया जाए। |
7. | उस की दो पट्टियाँ हों जो कंधों पर रख कर सामने और पीछे से बालापोश के साथ लगी हों। |
8. | इस के इलावा एक पटका बुनना है जिस से बालापोश को बाँधा जाए और जो बालापोश के साथ एक टुकड़ा हो। उस के लिए भी सोना, नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया जाए। |
9. | फिर अक़ीक़-ए-अह्मर के दो पत्थर चुन कर उन पर इस्राईल के बारह बेटों के नाम कन्दा करना। |
10. | हर जौहर पर छः छः नाम उन की पैदाइश की तर्तीब के मुताबिक़ कन्दा किए जाएँ। |
11. | यह नाम उस तरह जौहरों पर कन्दा किए जाएँ जिस तरह मुहर कन्दा की जाती है। फिर दोनों जौहर सोने के ख़ानों में जड़ कर |
12. | बालापोश की दो पट्टियों पर ऐसे लगाना कि कंधों पर आ जाएँ। जब हारून मेरे हुज़ूर आएगा तो जौहरों पर के यह नाम उस के कंधों पर होंगे और मुझे इस्राईलियों की याद दिलाएँगे। |
13. | सोने के ख़ाने बनाना |
14. | और ख़ालिस सोने की दो ज़न्जीरें जो डोरी की तरह गुंधी हुई हों। फिर इन दो ज़न्जीरों को सोने के ख़ानों के साथ लगाना। |
15. | सीने के लिए कीसा बनाना। उस में वह क़ुरए पड़े रहें जिन की मारिफ़त मेरी मर्ज़ी मालूम की जाएगी। माहिर कारीगर उसे उन ही चीज़ों से बनाए जिन से हारून का बालापोश बनाया गया है यानी सोने और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से। |
16. | जब कपड़े को एक दफ़ा तह किया गया हो तो कीसे की लम्बाई और चौड़ाई नौ नौ इंच हो। |
17. | उस पर चार क़तारों में जवाहिर जड़ना। हर क़तार में तीन तीन जौहर हों। पहली क़तार में लाल , ज़बर्जद और ज़ुमुर्रद। |
18. | दूसरी में फ़ीरोज़ा, संग-ए-लाजवर्द और हज्र-उल-क़मर । |
19. | तीसरी में ज़रक़ोन , अक़ीक़ और याक़ूत-ए-अर्ग़वानी । |
20. | चौथी में पुखराज , अक़ीक़-ए-अह्मर और यशब । हर जौहर सोने के ख़ाने में जड़ा हुआ हो। |
21. | यह बारह जवाहिर इस्राईल के बारह क़बीलों की नुमाइन्दगी करते हैं। एक एक जौहर पर एक क़बीले का नाम कन्दा किया जाए। यह नाम उस तरह कन्दा किए जाएँ जिस तरह मुहर कन्दा की जाती है। |
22. | सीने के कीसे पर ख़ालिस सोने की दो ज़न्जीरें लगाना जो डोरी की तरह गुंधी हुई हों। |
23. | उन्हें लगाने के लिए दो कड़े बना कर कीसे के ऊपर के दो कोनों पर लगाना। |
24. | अब दोनों ज़न्जीरें उन दो कड़ों से लगाना। |
25. | उन के दूसरे सिरे बालापोश की कंधों वाली पट्टियों के दो ख़ानों के साथ जोड़ देना, फिर सामने की तरफ़ लगाना। |
26. | कीसे के निचले दो कोनों पर भी सोने के दो कड़े लगाना। वह अन्दर, बालापोश की तरफ़ लगे हों। |
27. | अब दो और कड़े बना कर बालापोश की कंधों वाली पट्टियों पर लगाना। यह भी सामने की तरफ़ लगे हों लेकिन नीचे, बालापोश के पटके के ऊपर ही। |
28. | सीने के कीसे के निचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के इन निचले कड़ों के साथ बाँधे जाएँ। यूँ कीसा पटके के ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा रहेगा। |
29. | जब भी हारून मक़्दिस में दाख़िल हो कर रब्ब के हुज़ूर आएगा वह इस्राईली क़बीलों के नाम अपने दिल पर सीने के कीसे की सूरत में साथ ले जाएगा। यूँ वह क़ौम की याद दिलाता रहेगा। |
30. | सीने के कीसे में दोनों क़ुरए बनाम ऊरीम और तुम्मीम रखे जाएँ। वह भी मक़्दिस में रब्ब के सामने आते वक़्त हारून के दिल पर हों। यूँ जब हारून रब्ब के हुज़ूर होगा तो रब्ब की मर्ज़ी पूछने का वसीला हमेशा उस के दिल पर होगा। |
31. | चोग़ा भी बुनना। वह पूरी तरह नीले धागे से बनाया जाए। चोग़े को बालापोश से पहले पहना जाए। |
32. | उस के गिरीबान को बुने हुए कालर से मज़्बूत किया जाए ताकि वह न फटे। |
33. | नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे से अनार बना कर उन्हें चोग़े के दामन में लगा देना। उन के दर्मियान सोने की घंटियाँ लगाना। |
34. | दामन में अनार और घंटियाँ बारी बारी लगाना। |
35. | हारून ख़िदमत करते वक़्त हमेशा चोग़ा पहने। जब वह मक़्दिस में रब्ब के हुज़ूर आएगा और वहाँ से निकलेगा तो घंटियाँ सुनाई देंगी। फिर वह नहीं मरेगा। |
36. | ख़ालिस सोने की तख़्ती बना कर उस पर यह अल्फ़ाज़ कन्दा करना, ‘रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस।’ यह अल्फ़ाज़ यूँ कन्दा किए जाएँ जिस तरह मुहर कन्दा की जाती है। |
37. | उसे नीली डोरी से पगड़ी के सामने वाले हिस्से से लगाया जाए |
38. | ताकि वह हारून के माथे पर पड़ी रहे। जब भी वह मक़्दिस में जाए तो यह तख़्ती साथ हो। जब इस्राईली अपने नज़राने ला कर रब्ब के लिए मख़्सूस करें लेकिन किसी ग़लती के बाइस क़ुसूरवार हों तो उन का यह क़ुसूर हारून पर मुन्तक़िल होगा। इस लिए यह तख़्ती हर वक़्त उस के माथे पर हो ताकि रब्ब इस्राईलियों को क़बूल कर ले। |
39. | ज़ेरजामे को बारीक कतान से बुनना और इस तरह पगड़ी भी। फिर कमरबन्द बनाना। उस पर कड़ाई का काम किया जाए। |
40. | हारून के बेटों के लिए भी ज़ेरजामे, कमरबन्द और पगड़ियाँ बनाना ताकि वह पुरवक़ार और शानदार नज़र आएँ। |
41. | यह सब अपने भाई हारून और उस के बेटों को पहनाना। उन के सरों पर तेल उंडेल कर उन्हें मसह करना। यूँ उन्हें उन के उह्दे पर मुक़र्रर करके मेरी ख़िदमत के लिए मख़्सूस करना। |
42. | उन के लिए कतान के पाजामे भी बनाना ताकि वह ज़ेरजामे के नीचे नंगे न हों। उन की लम्बाई कमर से रान तक हो। |
43. | जब भी हारून और उस के बेटे मुलाक़ात के ख़ैमे में दाख़िल हों तो उन्हें यह पाजामे पहनने हैं। इसी तरह जब उन्हें मुक़द्दस कमरे में ख़िदमत करने के लिए क़ुर्बानगाह के पास आना होता है तो वह यह पहनें, वर्ना वह क़ुसूरवार ठहर कर मर जाएँगे। यह हारून और उस की औलाद के लिए एक अबदी उसूल है। |
← Exodus (28/40) → |