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1. | आप को मसीह के साथ ज़िन्दा कर दिया गया है, इस लिए वह कुछ तलाश करें जो आस्मान पर है जहाँ मसीह अल्लाह के दहने हाथ बैठा है। |
2. | दुनियावी चीज़ों को अपने ख़यालों का मर्कज़ न बनाएँ बल्कि आस्मानी चीज़ों को। |
3. | क्यूँकि आप मर गए हैं और अब आप की ज़िन्दगी मसीह के साथ अल्लाह में पोशीदा है। |
4. | मसीह ही आप की ज़िन्दगी है। जब वह ज़ाहिर हो जाएगा तो आप भी उस के साथ ज़ाहिर हो कर उस के जलाल में शरीक हो जाएँगे। |
5. | चुनाँचे उन दुनियावी चीज़ों को मार डालें जो आप के अन्दर काम कर रही हैं : ज़िनाकारी, नापाकी, शहवतपरस्ती, बुरी ख़्वाहिशात और लालच (लालच तो एक क़िस्म की बुतपरस्ती है)। |
6. | अल्लाह का ग़ज़ब ऐसी ही बातों की वजह से नाज़िल होगा। |
7. | एक वक़्त था जब आप भी इन के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते थे, जब आप की ज़िन्दगी इन के क़ाबू में थी। |
8. | लेकिन अब वक़्त आ गया है कि आप यह सब कुछ यानी ग़ुस्सा, तैश, बदसुलूकी, बुह्तान और गन्दी ज़बान ख़स्ताहाल कपड़े की तरह उतार कर फैंक दें। |
9. | एक दूसरे से बात करते वक़्त झूट मत बोलना, क्यूँकि आप ने अपनी पुरानी फ़ित्रत उस की हर्कतों समेत उतार दी है। |
10. | साथ साथ आप ने नई फ़ित्रत पहन ली है, वह फ़ित्रत जिस की तज्दीद हमारा ख़ालिक़ अपनी सूरत पर करता जा रहा है ताकि आप उसे और बेहतर तौर पर जान लें। |
11. | जहाँ यह काम हो रहा है वहाँ लोगों में कोई फ़र्क़ नहीं है, ख़्वाह कोई ग़ैरयहूदी हो या यहूदी, मख़्तून हो या नामख़्तून, ग़ैरयूनानी हो या स्कूती , ग़ुलाम हो या आज़ाद। कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, सिर्फ़ मसीह ही सब कुछ और सब में है। |
12. | अल्लाह ने आप को चुन कर अपने लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस कर लिया है। वह आप से मुहब्बत रखता है। इस लिए अब तरस, नेकी, फ़रोतनी, नर्मदिली और सब्र को पहन लें। |
13. | एक दूसरे को बर्दाश्त करें, और अगर आप की किसी से शिकायत हो तो उसे मुआफ़ कर दें। हाँ, यूँ मुआफ़ करें जिस तरह ख़ुदावन्द ने आप को मुआफ़ कर दिया है। |
14. | इन के इलावा मुहब्बत भी पहन लें जो सब कुछ बाँध कर कामिलियत की तरफ़ ले जाती है। |
15. | मसीह की सलामती आप के दिलों में हुकूमत करे। क्यूँकि अल्लाह ने आप को इसी सलामती की ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए बुला कर एक बदन में शामिल कर दिया है। शुक्रगुज़ार भी रहें। |
16. | आप की ज़िन्दगी में मसीह के कलाम की पूरी दौलत घर कर जाए। एक दूसरे को हर तरह की हिक्मत से तालीम देते और समझाते रहें। साथ साथ अपने दिलों में अल्लाह के लिए शुक्रगुज़ारी के साथ ज़बूर, हम्द-ओ-सना और रुहानी गीत गाते रहें। |
17. | और जो कुछ भी आप करें ख़्वाह ज़बानी हो या अमली वह ख़ुदावन्द ईसा का नाम ले कर करें। हर काम में उसी के वसीले से ख़ुदा बाप का शुक्र करें। |
18. | बीवियो, अपने शौहर के ताबे रहें, क्यूँकि जो ख़ुदावन्द में है उस के लिए यही मुनासिब है। |
19. | शौहरो, अपनी बीवियों से मुहब्बत रखें। उन से तल्ख़मिज़ाजी से पेश न आएँ। |
20. | बच्चो, हर बात में अपने माँ-बाप के ताबे रहें, क्यूँकि यही ख़ुदावन्द को पसन्द है। |
21. | वालिदो, अपने बच्चों को मुश्तइल न करें, वर्ना वह बेदिल हो जाएँगे। |
22. | ग़ुलामो, हर बात में अपने दुनियावी मालिकों के ताबे रहें। न सिर्फ़ उन के सामने ही और उन्हें ख़ुश रखने के लिए ख़िदमत करें बल्कि ख़ुलूसदिली और ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ मान कर काम करें। |
23. | जो कुछ भी आप करते हैं उसे पूरी लगन के साथ करें, इस तरह जैसा कि आप न सिर्फ़ इन्सानों की बल्कि ख़ुदावन्द की ख़िदमत कर रहे हूँ। |
24. | आप तो जानते हैं कि ख़ुदावन्द आप को इस के मुआवज़े में वह मीरास देगा जिस का वादा उस ने किया है। हक़ीक़त में आप ख़ुदावन्द मसीह की ही ख़िदमत कर रहे हैं। |
25. | लेकिन जो ग़लत काम करे उसे अपनी ग़लतियों का मुआवज़ा भी मिलेगा। अल्लाह तो किसी की भी जानिबदारी नहीं करता। |
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