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1. | वह इस्राईल के बादशाह याहू की हुकूमत के सातवें साल में यहूदाह का बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 40 साल था। उस की माँ ज़िबियाह बैर-सबा की रहने वाली थी। |
2. | जब तक यहोयदा उस की राहनुमाई करता था यूआस वह कुछ करता रहा जो रब्ब को पसन्द था। |
3. | तो भी ऊँची जगहों के मन्दिर दूर न किए गए। अवाम मामूल के मुताबिक़ वहाँ अपनी क़ुर्बानियाँ पेश करते और बख़ूर जलाते रहे। |
4. | एक दिन यूआस ने इमामों को हुक्म दिया, “रब्ब के लिए मख़्सूस जितने भी पैसे रब्ब के घर में लाए जाते हैं उन सब को जमा करें, चाहे वह मर्दुमशुमारी के टैक्स या किसी मन्नत के ज़िम्न में दिए गए हों, चाहे रज़ाकाराना तौर पर अदा किए गए हों। |
5. | यह तमाम पैसे इमामों के सपुर्द किए जाएँ। इन से आप को जहाँ भी ज़रूरत है रब्ब के घर की दराड़ों की मरम्मत करवानी है।” |
6. | लेकिन यूआस की हुकूमत के 23वें साल में उस ने देखा कि अब तक रब्ब के घर की दराड़ों की मरम्मत नहीं हुई। |
7. | तब उस ने यहोयदा और बाक़ी इमामों को बुला कर पूछा, “आप रब्ब के घर की मरम्मत क्यूँ नहीं करा रहे? अब से आप को इन पैसों से आप की अपनी ज़रूरियात पूरी करने की इजाज़त नहीं बल्कि तमाम पैसे रब्ब के घर की मरम्मत के लिए इस्तेमाल करने हैं।” |
8. | इमाम मान गए कि अब से हम लोगों से हदिया नहीं लेंगे और कि इस के बदले हमें रब्ब के घर की मरम्मत नहीं करवानी पड़ेगी। |
9. | फिर यहोयदा इमाम ने एक सन्दूक़ ले कर उस के ढकने में सूराख़ बना दिया। इस सन्दूक़ को उस ने क़ुर्बानगाह के पास रख दिया, उस दरवाज़े के दहनी तरफ़ जिस में से परस्तार रब्ब के घर के सहन में दाख़िल होते थे। जब लोग अपने हदियाजात रब्ब के घर में पेश करते तो दरवाज़े की पहरादारी करने वाले इमाम तमाम पैसों को सन्दूक़ में डाल देते। |
10. | जब कभी पता चलता कि सन्दूक़ भर गया है तो बादशाह का मीरमुन्शी और इमाम-ए-आज़म आते और तमाम पैसे गिन कर थैलियों में डाल देते थे। |
11. | फिर यह गिने हुए पैसे उन ठेकेदारों को दिए जाते जिन के सपुर्द रब्ब के घर की मरम्मत का काम किया गया था। इन पैसों से वह मरम्मत करने वाले कारीगरों की उजरत अदा करते थे। इन में बढ़ई, इमारत पर काम करने वाले, |
12. | राज और पत्थर तराशने वाले शामिल थे। इस के इलावा उन्हों ने यह पैसे दराड़ों की मरम्मत के लिए दरकार लकड़ी और तराशे हुए पत्थरों के लिए भी इस्तेमाल किए। बाक़ी जितने अख़्राजात रब्ब के घर को बहाल करने के लिए ज़रूरी थे वह सब इन पैसों से पूरे किए गए। |
13. | लेकिन इन हदियाजात से सोने या चाँदी की चीज़ें न बनवाई गईं, न चाँदी के बासन, बत्ती कतरने के औज़ार, छिड़काओ के कटोरे या तुरम। |
14. | यह सिर्फ़ और सिर्फ़ ठेकेदारों को दिए गए ताकि वह रब्ब के घर की मरम्मत कर सकें। |
15. | ठेकेदारों से हिसाब न लिया गया जब उन्हें कारीगरों को पैसे देने थे, क्यूँकि वह क़ाबिल-ए-एतिमाद थे। |
16. | महज़ वह पैसे जो क़ुसूर और गुनाह की क़ुर्बानियों के लिए मिलते थे रब्ब के घर की मरम्मत के लिए इस्तेमाल न हुए। वह इमामों का हिस्सा रहे। |
17. | उन दिनों में शाम के बादशाह हज़ाएल ने जात पर हम्ला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया। इस के बाद वह मुड़ कर यरूशलम की तरफ़ बढ़ने लगा ताकि उस पर भी हम्ला करे। |
18. | यह देख कर यहूदाह के बादशाह यूआस ने उन तमाम हदियाजात को इकट्ठा किया जो उस के बापदादा यहूसफ़त, यहूराम और अख़ज़ियाह ने रब्ब के घर के लिए मख़्सूस किए थे। उस ने वह भी जमा किए जो उस ने ख़ुद रब्ब के घर के लिए मख़्सूस किए थे। यह चीज़ें उस सारे सोने के साथ मिला कर जो रब्ब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में था उस ने सब कुछ हज़ाएल को भेज दिया। तब हज़ाएल यरूशलम को छोड़ कर चला गया। |
19. | बाक़ी जो कुछ यूआस की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया उस का ज़िक्र ‘शाहान-ए-यहूदाह’ की किताब में किया गया है। |
20. | एक दिन उस के अफ़्सरों ने उस के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे क़त्ल कर दिया जब वह बैत-मिल्लो के पास उस रास्ते पर था जो सिल्ला की तरफ़ उतर जाता था। |
21. | क़ातिलों के नाम यूज़बद बिन सिमआत और यहूज़बद बिन शूमीर थे। यूआस को यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ान्दानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा अमसियाह तख़्तनशीन हुआ। |
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