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| 1. | भाइयो, इस की ज़रूरत नहीं कि हम आप को लिखें कि यह सब कुछ कब और किस मौक़े पर होगा। |
| 2. | क्यूँकि आप ख़ुद ख़ूब जानते हैं कि ख़ुदावन्द का दिन यूँ आएगा जिस तरह चोर रात के वक़्त घर में घुस आता है। |
| 3. | जब लोग कहेंगे, “अब अम्न-ओ-अमान है,” तो हलाकत अचानक ही उन पर आन पड़ेगी। वह इस तरह मुसीबत में पड़ जाएँगे जिस तरह वह औरत जिस का बच्चा पैदा हो रहा है। वह हरगिज़ नहीं बच सकेंगे। |
| 4. | लेकिन आप भाइयो तारीकी की गिरिफ़्त में नहीं हैं, इस लिए यह दिन चोर की तरह आप पर ग़ालिब नहीं आना चाहिए। |
| 5. | क्यूँकि आप सब रौशनी और दिन के फ़र्ज़न्द हैं। हमारा रात या तारीकी से कोई वास्ता नहीं। |
| 6. | ग़रज़ आएँ, हम दूसरों की मानिन्द न हों जो सोए हुए हैं बल्कि जागते रहें, होशमन्द रहें। |
| 7. | क्यूँकि रात के वक़्त ही लोग सो जाते हैं, रात के वक़्त ही लोग नशे में धुत हो जाते हैं। |
| 8. | लेकिन चूँकि हम दिन के हैं इस लिए आएँ हम होश में रहें। लाज़िम है कि हम ईमान और मुहब्बत को ज़िराबक्तर के तौर पर और नजात की उम्मीद को ख़ोद के तौर पर पहन लें। |
| 9. | क्यूँकि अल्लाह ने हमें इस लिए नहीं चुना कि हम पर अपना ग़ज़ब नाज़िल करे बल्कि इस लिए कि हम अपने ख़ुदावन्द ईसा मसीह के वसीले से नजात पाएँ। |
| 10. | उस ने हमारी ख़ातिर अपनी जान दे दी ताकि हम उस के साथ जिएँ, ख़्वाह हम उस की आमद के दिन मुर्दा हों या ज़िन्दा। |
| 11. | इस लिए एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई और तामीर करते रहें, जैसा कि आप कर भी रहे हैं। |
| 12. | भाइयो, हमारी दरख़्वास्त है कि आप उन की क़दर करें जो आप के दर्मियान सख़्त मेहनत करके ख़ुदावन्द में आप की राहनुमाई और हिदायत करते हैं। |
| 13. | उन की ख़िदमत को सामने रख कर पियार से उन की बड़ी इज़्ज़त करें। और एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से ज़िन्दगी गुज़ारें। |
| 14. | भाइयो, हम इस पर ज़ोर देना चाहते हैं कि उन्हें समझाएँ जो बेक़ाइदा ज़िन्दगी गुज़ारते हैं, उन्हें तसल्ली दें जो जल्दी से मायूस हो जाते हैं, कमज़ोरों का ख़याल रखें और सब को सब्र से बर्दाश्त करें। |
| 15. | इस पर ध्यान दें कि कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे बल्कि आप हर वक़्त एक दूसरे और तमाम लोगों के साथ नेक काम करने में लगे रहें। |
| 16. | हर वक़्त ख़ुश रहें, |
| 17. | बिलानाग़ा दुआ करें, |
| 18. | और हर हालत में ख़ुदा का शुक्र करें। क्यूँकि जब आप मसीह में हैं तो अल्लाह यही कुछ आप से चाहता है। |
| 19. | रूह-उल-क़ुद्स को मत बुझाएँ। |
| 20. | नुबुव्वतों की तह्क़ीर न करें। |
| 21. | सब कुछ परख कर वह थामे रखें जो अच्छा है, |
| 22. | और हर क़िस्म की बुराई से बाज़ रहें। |
| 23. | अल्लाह ख़ुद जो सलामती का ख़ुदा है आप को पूरे तौर पर मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करे। वह करे कि आप पूरे तौर पर रूह, जान और बदन समेत उस वक़्त तक मह्फ़ूज़ और बेइल्ज़ाम रहें जब तक हमारा ख़ुदावन्द ईसा मसीह वापस नहीं आ जाता। |
| 24. | जो आप को बुलाता है वह वफ़ादार है और वह ऐसा करेगा भी। |
| 25. | भाइयो, हमारे लिए दुआ करें। |
| 26. | तमाम भाइयों को हमारी तरफ़ से बोसा देना। |
| 27. | ख़ुदावन्द के हुज़ूर मैं आप को ताकीद करता हूँ कि यह ख़त तमाम भाइयों के सामने पढ़ा जाए। |
| 28. | हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का फ़ज़्ल आप के साथ होता रहे। |
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