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1. | भाइयो, एक आख़िरी बात, आप ने हम से सीख लिया था कि हमारी ज़िन्दगी किस तरह होनी चाहिए ताकि वह अल्लाह को पसन्द आए। और आप इस के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते भी हैं। अब हम ख़ुदावन्द ईसा में आप से दरख़्वास्त और आप की हौसलाअफ़्ज़ाई करते हैं कि आप इस में मज़ीद तरक़्क़ी करते जाएँ। |
2. | आप तो उन हिदायात से वाक़िफ़ हैं जो हम ने आप को ख़ुदावन्द ईसा के वसीले से दी थीं। |
3. | क्यूँकि अल्लाह की मर्ज़ी है कि आप उस के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हों, कि आप ज़िनाकारी से बाज़ रहें। |
4. | हर एक अपने बदन पर यूँ क़ाबू पाना सीख ले कि वह मुक़द्दस और शरीफ़ ज़िन्दगी गुज़ार सके। |
5. | वह ग़ैरईमानदारों की तरह जो अल्लाह से नावाक़िफ़ हैं शहवतपरस्ती का शिकार न हो। |
6. | इस मुआमले में कोई अपने भाई का गुनाह न करे, न उस से ग़लत फ़ाइदा उठाए। ख़ुदावन्द ऐसे गुनाहों की सज़ा देता है। हम यह सब कुछ बता चुके और आप को आगाह कर चुके हैं। |
7. | क्यूँकि अल्लाह ने हमें नापाक ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए नहीं बुलाया बल्कि मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए। |
8. | इस लिए जो यह हिदायात रद्द करता है वह इन्सान को नहीं बल्कि अल्लाह को रद्द करता है जो आप को अपना मुक़द्दस रूह दे देता है। |
9. | यह लिखने की ज़रूरत नहीं कि आप दूसरे ईमानदारों से मुहब्बत रखें। अल्लाह ने ख़ुद आप को एक दूसरे से मुहब्बत रखना सिखाया है। |
10. | और हक़ीक़तन आप मकिदुनिया के तमाम भाइयों से ऐसी ही मुहब्बत रखते हैं। तो भी भाइयो, हम आप की हौसलाअफ़्ज़ाई करना चाहते हैं कि आप इस में मज़ीद तरक़्क़ी करते जाएँ। |
11. | अपनी इज़्ज़त इस में बरक़रार रखें कि आप सुकून से ज़िन्दगी गुज़ारें, अपने फ़राइज़ अदा करें और अपने हाथों से काम करें, जिस तरह हम ने आप को कह दिया था। |
12. | जब आप ऐसा करेंगे तो ग़ैरईमानदार आप की क़दर करेंगे और आप किसी भी चीज़ के मुह्ताज नहीं रहेंगे। |
13. | भाइयो, हम चाहते हैं कि आप उन के बारे में हक़ीक़त जान लें जो सो गए हैं ताकि आप दूसरों की तरह जिन की कोई उम्मीद नहीं मातम न करें। |
14. | हमारा ईमान है कि ईसा मर गया और दुबारा जी उठा, इस लिए हमारा यह भी ईमान है कि जब ईसा वापस आएगा तो अल्लाह उस के साथ उन ईमानदारों को भी वापस लाएगा जो मौत की नींद सो गए हैं। |
15. | जो कुछ हम अब आप को बता रहे हैं वह ख़ुदावन्द की तालीम है। ख़ुदावन्द की आमद पर हम जो ज़िन्दा होंगे सोए हुए लोगों से पहले ख़ुदावन्द से नहीं मिलेंगे। |
16. | उस वक़्त ऊँची आवाज़ से हुक्म दिया जाएगा, फ़रिश्ता-ए-आज़म की आवाज़ सुनाई देगी, अल्लाह का तुरम बजेगा और ख़ुदावन्द ख़ुद आस्मान पर से उतर आएगा। तब पहले वह जी उठेंगे जो मसीह में मर गए थे। |
17. | इन के बाद ही हमें जो ज़िन्दा होंगे बादलों पर उठा लिया जाएगा ताकि हवा में ख़ुदावन्द से मिलें। फिर हम हमेशा ख़ुदावन्द के साथ रहेंगे। |
18. | चुनाँचे इन अल्फ़ाज़ से एक दूसरे को तसल्ली दिया करें। |
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