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1. | उस दिन दाऊद के घराने और यरूशलम के बाशिन्दों के लिए चश्मा खोला जाएगा जिस के ज़रीए वह अपने गुनाहों और नापाकी को दूर कर सकेंगे।” |
2. | रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “उस दिन मैं तमाम बुतों को मुल्क में से मिटा दूँगा। उन का नाम-ओ-निशान तक नहीं रहेगा, और वह किसी को याद नहीं रहेंगे। नबियों और नापाकी की रूह को भी मैं मुल्क से दूर करूँगा। |
3. | इस के बाद अगर कोई नुबुव्वत करे तो उस के अपने माँ-बाप उस से कहेंगे, ‘तू ज़िन्दा नहीं रह सकता, क्यूँकि तू ने रब्ब का नाम ले कर झूट बोला है।’ जब वह पेशगोइयाँ सुनाएगा तो उस के अपने वालिदैन उसे छेद डालेंगे। |
4. | उस वक़्त हर नबी को अपनी रोया पर शर्म आएगी जब नुबुव्वत करेगा। वह नबी का बालों से बना लिबास नहीं पहनेगा ताकि फ़रेब दे |
5. | बल्कि कहेगा, ‘मैं नबी नहीं बल्कि काश्तकार हूँ। जवानी से ही मेरा पेशा खेतीबाड़ी रहा है।’ |
6. | अगर कोई पूछे, ‘तो फिर तेरे सीने पर ज़ख़्मों के निशान किस तरह लगे? तो जवाब देगा, मैं अपने दोस्तों के घर में ज़ख़्मी हुआ’।” |
7. | रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, “ऐ तल्वार, जाग उठ! मेरे गल्लाबान पर हम्ला कर, उस पर जो मेरे क़रीब है। गल्लाबान को मार डाल ताकि भेड़-बक्रियाँ तित्तर-बित्तर हो जाएँ। मैं ख़ुद अपने हाथ को छोटों के ख़िलाफ़ उठाऊँगा।” |
8. | रब्ब फ़रमाता है, “पूरे मुल्क में लोगों के तीन हिस्सों में से दो हिस्सों को मिटाया जाएगा। दो हिस्से हलाक हो जाएँगे और सिर्फ़ एक ही हिस्सा बचा रहेगा। |
9. | इस बचे हुए हिस्से को मैं आग में डाल कर चाँदी या सोने की तरह पाक-साफ़ करूँगा। तब वह मेरा नाम पुकारेंगे, और मैं उन की सुनूँगा। मैं कहूँगा, ‘यह मेरी क़ौम है,’ और वह कहेंगे, ‘रब्ब हमारा ख़ुदा है’।” |
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