Titus (1/3) → |
1. | यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है जो अल्लाह का ख़ादिम और ईसा मसीह का रसूल है। मुझे चुन कर भेजा गया ताकि मैं ईमान लाने और ख़ुदातरस ज़िन्दगी की सच्चाई जान लेने में अल्लाह के चुने हुए लोगों की मदद करूँ। |
2. | क्यूँकि उस से उन्हें अबदी ज़िन्दगी की उम्मीद दिलाई जाती है, ऐसी ज़िन्दगी की जिस का वादा अल्लाह ने दुनिया के ज़मानों से पेशतर ही किया था। और वह झूट नहीं बोलता। |
3. | अपने मुक़र्ररा वक़्त पर अल्लाह ने अपने कलाम का एलान करके उसे ज़ाहिर कर दिया। यही एलान मेरे सपुर्द किया गया है और मैं इसे हमारे नजातदिहन्दा अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ सुनाता हूँ। |
4. | मैं तितुस को लिख रहा हूँ जो हमारे मुश्तरका ईमान के मुताबिक़ मेरा हक़ीक़ी बेटा है। ख़ुदा बाप और हमारा नजातदिहन्दा मसीह ईसा आप को फ़ज़्ल और सलामती अता करें। |
5. | मैं ने आप को क्रेते में इस लिए छोड़ा था कि आप वह कमियाँ दुरुस्त करें जो अब तक रह गई थीं। यह भी एक मक़्सद था कि आप हर शहर की जमाअत में बुज़ुर्ग मुक़र्रर करें, जिस तरह मैं ने आप को कहा था। |
6. | बुज़ुर्ग बेइल्ज़ाम हो। उस की सिर्फ़ एक बीवी हो। उस के बच्चे ईमानदार हों और लोग उन पर अय्याश या सरकश होने का इल्ज़ाम न लगा सकें। |
7. | निगरान को तो अल्लाह का घराना सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई है, इस लिए लाज़िम है कि वह बेइल्ज़ाम हो। वह ख़ुदसर, ग़ुसीला, शराबी, लड़ाका या लालची न हो। |
8. | इस के बजाय वह मेहमान-नवाज़ हो और सब अच्छी चीज़ों से पियार करने वाला हो। वह समझदार, रास्तबाज़ और मुक़द्दस हो। वह अपने आप पर क़ाबू रख सके। |
9. | वह उस कलाम के साथ लिपटा रहे जो क़ाबिल-ए-एतिमाद और हमारी तालीम के मुताबिक़ है। क्यूँकि इस तरह ही वह सेहतबख़्श तालीम दे कर दूसरों की हौसलाअफ़्ज़ाई कर सकेगा और मुख़ालफ़त करने वालों को समझा भी सकेगा। |
10. | बात यह है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो सरकश हैं, जो फ़ुज़ूल बातें करके दूसरों को धोका देते हैं। यह बात ख़ासकर उन पर सादिक़ आती है जो यहूदियों में से हैं। |
11. | लाज़िम है कि उन्हें चुप करा दिया जाए, क्यूँकि यह लालच में आ कर कई लोगों के पूरे घर अपनी ग़लत तालीम से ख़राब कर रहे हैं। |
12. | उन के अपने एक नबी ने कहा है, “क्रेते के बाशिन्दे हमेशा झूट बोलने वाले, वहशी जानवर और सुस्त पेटू होते हैं।” |
13. | उस की यह गवाही दुरुस्त है। इस वजह से लाज़िम है कि आप उन्हें सख़्ती से समझाएँ ताकि उन का ईमान सेहतमन्द रहे |
14. | और वह यहूदी फ़र्ज़ी कहानियों या उन इन्सानों के अह्काम पर ध्यान न दें जो सच्चाई से हट गए हैं। |
15. | जो लोग पाक-साफ़ हैं उन के लिए सब कुछ पाक है। लेकिन जो नापाक और ईमान से ख़ाली हैं उन के लिए कुछ भी पाक नहीं होता बल्कि उन का ज़हन और उन का ज़मीर दोनों नापाक हो गए हैं। |
16. | यह अल्लाह को जानने का दावा तो करते हैं, लेकिन उन की हर्कतें इस बात का इन्कार करती हैं। यह घिनौने, नाफ़रमान और कोई भी अच्छा काम करने के क़ाबिल नहीं हैं। |
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