Romans (4/16)  

1. इब्राहीम जिस्मानी लिहाज़ से हमारा बाप था। तो रास्तबाज़ ठहरने के सिलसिले में उस का क्या तजरिबा था?
2. हम कह सकते हैं कि अगर वह शरीअत पर अमल करने से रास्तबाज़ ठहरता तो वह अपने आप पर फ़ख़र कर सकता था। लेकिन अल्लाह के नज़्दीक उस के पास अपने आप पर फ़ख़र करने का कोई सबब न था।
3. क्यूँकि कलाम-ए-मुक़द्दस में लिखा है, “इब्राहीम ने अल्लाह पर भरोसा रखा। इस बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया।”
4. जब लोग काम करते हैं तो उन की मज़्दूरी कोई ख़ास मेहरबानी क़रार नहीं दी जाती, बल्कि यह तो उन का हक़ बनता है।
5. लेकिन जब लोग काम नहीं करते बल्कि अल्लाह पर ईमान रखते हैं जो बेदीनों को रास्तबाज़ क़रार देता है तो उन का कोई हक़ नहीं बनता। वह उन के ईमान ही की बिना पर रास्तबाज़ क़रार दिए जाते हैं।
6. दाऊद यही बात बयान करता है जब वह उस शख़्स को मुबारक कहता है जिसे अल्लाह बग़ैर आमाल के रास्तबाज़ ठहराता है,
7. “मुबारक हैं वह जिन के जराइम मुआफ़ किए गए, जिन के गुनाह ढाँपे गए हैं।
8. मुबारक है वह जिस का गुनाह रब्ब हिसाब में नहीं लाएगा।”
9. क्या यह मुबारकबादी सिर्फ़ मख़्तूनों के लिए है या नामख़्तूनों के लिए भी? हम तो बयान कर चुके हैं कि इब्राहीम ईमान की बिना पर रास्तबाज़ ठहरा।
10. उसे किस हालत में रास्तबाज़ ठहराया गया? ख़तना कराने के बाद या पहले? ख़तने के बाद नहीं बल्कि पहले।
11. और ख़तना का जो निशान उसे मिला वह उस की रास्तबाज़ी की मुहर थी, वह रास्तबाज़ी जो उसे ख़तना कराने से पेशतर मिली, उस वक़्त जब वह ईमान लाया। यूँ वह उन सब का बाप है जो बग़ैर ख़तना कराए ईमान लाए हैं और इस बिना पर रास्तबाज़ ठहरते हैं।
12. साथ ही वह ख़तना कराने वालों का बाप भी है, लेकिन उन का जिन का न सिर्फ़ ख़तना हुआ है बल्कि जो हमारे बाप इब्राहीम के उस ईमान के नक़्श-ए-क़दम पर चलते हैं जो वह ख़तना कराने से पेशतर रखता था।
13. जब अल्लाह ने इब्राहीम और उस की औलाद से वादा किया कि वह दुनिया का वारिस होगा तो उस ने यह इस लिए नहीं किया कि इब्राहीम ने शरीअत की पैरवी की बल्कि इस लिए कि वह ईमान लाया और यूँ रास्तबाज़ ठहराया गया।
14. क्यूँकि अगर वह वारिस हैं जो शरीअत के पैरोकार हैं तो फिर ईमान बेअसर ठहरा और अल्लाह का वादा मिट गया।
15. शरीअत अल्लाह का ग़ज़ब ही पैदा करती है। लेकिन जहाँ कोई शरीअत नहीं वहाँ उस की ख़िलाफ़वरज़ी भी नहीं।
16. चुनाँचे यह मीरास ईमान से मिलती है ताकि इस की बुन्याद अल्लाह का फ़ज़्ल हो और इस का वादा इब्राहीम की तमाम नसल के लिए हो, न सिर्फ़ शरीअत के पैरोकारों के लिए बल्कि उन के लिए भी जो इब्राहीम का सा ईमान रखते हैं। यही हम सब का बाप है।
17. यूँ अल्लाह कलाम-ए-मुक़द्दस में उस से वादा करता है, “मैं ने तुझे बहुत क़ौमों का बाप बना दिया है।” अल्लाह ही के नज़्दीक इब्राहीम हम सब का बाप है। क्यूँकि उस का ईमान उस ख़ुदा पर था जो मुर्दों को ज़िन्दा करता और जिस के हुक्म पर वह कुछ पैदा होता है जो पहले नहीं था।
18. उम्मीद की कोई किरन दिखाई नहीं देती थी, फिर भी इब्राहीम उम्मीद के साथ ईमान रखता रहा कि मैं ज़रूर बहुत क़ौमों का बाप बनूँगा। और आख़िरकार ऐसा ही हुआ, जैसा कलाम-ए-मुक़द्दस में वादा किया गया था कि “तेरी औलाद इतनी ही बेशुमार होगी।”
19. और इब्राहीम का ईमान कमज़ोर न पड़ा, हालाँकि उसे मालूम था कि मैं तक़्रीबन सौ साल का हूँ और मेरा और सारा के बदन गोया मुर्दा हैं, अब बच्चे पैदा करने की उम्र सारा के लिए गुज़र चुकी है।
20. तो भी इब्राहीम का ईमान ख़त्म न हुआ, न उस ने अल्लाह के वादे पर शक किया बल्कि ईमान में वह मज़ीद मज़्बूत हुआ और अल्लाह को जलाल देता रहा।
21. उसे पुख़्ता यक़ीन था कि अल्लाह अपने वादे को पूरा करने की क़ुद्रत रखता है।
22. उस के इस ईमान की वजह से अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया।
23. कलाम-ए-मुक़द्दस में यह बात कि अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया न सिर्फ़ उस की ख़ातिर लिखी गई
24. बल्कि हमारी ख़ातिर भी। क्यूँकि अल्लाह हमें भी रास्तबाज़ क़रार देगा अगर हम उस पर ईमान रखें जिस ने हमारे ख़ुदावन्द ईसा को मुर्दों में से ज़िन्दा किया।
25. हमारी ही ख़ताओं की वजह से उसे मौत के हवाले किया गया, और हमें ही रास्तबाज़ क़रार देने के लिए उसे ज़िन्दा किया गया।

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