Revelation (11/22)  

1. मुझे गज़ की तरह का सरकंडा दिया गया और बताया गया, “जा, अल्लाह के घर और क़ुर्बानगाह की पैमाइश कर। उस में परस्तारों की तादाद भी गिन।
2. लेकिन बैरूनी सहन को छोड़ दे। उसे मत नाप, क्यूँकि उसे ग़ैरईमानदारों को दिया गया है जो मुक़द्दस शहर को 42 महीनों तक कुचलते रहेंगे।
3. और मैं अपने दो गवाहों को इख़तियार दूँगा, और वह टाट ओढ़ कर 1,260 दिनों के दौरान नुबुव्वत करेंगे।”
4. यह दो गवाह ज़ैतून के वह दो दरख़्त और वह दो शमादान हैं जो दुनिया के आक़ा के सामने खड़े हैं।
5. अगर कोई उन्हें नुक़्सान पहुँचाना चाहे तो उन के मुँह में से आग निकल कर उन के दुश्मनों को भस्म कर देती है। जो भी उन्हें नुक़्सान पहुँचाना चाहे उसे इस तरह मरना पड़ता है।
6. इन गवाहों को आस्मान को बन्द रखने का इख़तियार है ताकि जितना वक़्त वह नुबुव्वत करें बारिश न हो। उन्हें पानी को ख़ून में बदलने और ज़मीन को हर क़िस्म की अज़ियत पहुँचाने का इख़तियार भी है। और वह जितनी दफ़ा जी चाहे यह कर सकते हैं।
7. उन की गवाही का मुक़र्ररा वक़्त पूरा होने पर अथाह गढ़े में से निकलने वाला हैवान उन से जंग करना शुरू करेगा और उन पर ग़ालिब आ कर उन्हें मार डालेगा।
8. उन की लाशें उस बड़े शहर की सड़क पर पड़ी रहेंगी जिस का अलामती नाम सदूम और मिस्र है। वहाँ उन का आक़ा भी मस्लूब हुआ था।
9. और साढे तीन दिनों के दौरान हर उम्मत, क़बीले, ज़बान और क़ौम के लोग इन लाशों को घूर कर देखेंगे और इन्हें दफ़न करने नहीं देंगे।
10. ज़मीन के बाशिन्दे उन की वजह से मसरूर होंगे और ख़ुशी मना कर एक दूसरे को तुह्फ़े भेजेंगे, क्यूँकि इन दो नबियों ने ज़मीन पर रहने वालों को काफ़ी ईज़ा पहुँचाई थी।
11. लेकिन इन साढे तीन दिनों के बाद अल्लाह ने उन में ज़िन्दगी का दम फूँक दिया, और वह अपने पाँओ पर खड़े हुए। जो उन्हें देख रहे थे वह सख़्त दह्शतज़दा हुए।
12. फिर उन्हों ने आस्मान से एक ऊँची आवाज़ सुनी जिस ने उन से कहा, “यहाँ ऊपर आओ!” और उन के दुश्मनों के देखते देखते दोनों एक बादल में आस्मान पर चले गए।
13. उसी वक़्त एक शदीद ज़ल्ज़ला आया और शहर का दसवाँ हिस्सा गिर कर तबाह हो गया। 7,000 अफ़राद उस की ज़द में आ कर मर गए। बचे हुए लोगों में दह्शत फैल गई और वह आस्मान के ख़ुदा को जलाल देने लगे।
14. दूसरा अफ़्सोस गुज़र गया, लेकिन अब तीसरा अफ़्सोस जल्द होने वाला है।
15. सातवें फ़रिश्ते ने अपने तुरम में फूँक मारी। इस पर आस्मान पर से ऊँची आवाज़ें सुनाई दें जो कह रही थीं, “ज़मीन की बादशाही हमारे आक़ा और उस के मसीह की हो गई है। वही अज़ल से अबद तक हुकूमत करेगा।”
16. और अल्लाह के तख़्त के सामने बैठे 24 बुज़ुर्गों ने गिर कर अल्लाह को सिज्दा किया
17. और कहा, “ऐ रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा, हम तेरा शुक्र करते हैं, तू जो है और जो था। क्यूँकि तू अपनी अज़ीम क़ुद्रत को काम में ला कर हुकूमत करने लगा है।
18. क़ौमें ग़ुस्से में आएँ तो तेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ। अब मुर्दों की अदालत करने और अपने ख़ादिमों को अज्र देने का वक़्त आ गया है। हाँ, तेरे नबियों, मुक़द्दसीन और तेरा ख़ौफ़ मानने वालों को अज्र मिलेगा, ख़्वाह वह छोटे हों या बड़े। अब वह वक़्त भी आ गया है कि ज़मीन को तबाह करने वालों को तबाह किया जाए।”
19. आस्मान पर अल्लाह के घर को खोला गया और उस में उस के अह्द का सन्दूक़ नज़र आया। बिजली चमकने लगी, शोर मच गया, बादल गरजने और बड़े बड़े ओले पड़ने लगे।

  Revelation (11/22)