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| 1. | रब्ब बादशाह है! ज़मीन जश्न मनाए, साहिली इलाक़े दूर दूर तक ख़ुश हों। |
| 2. | वह बादलों और गहरे अंधेरे से घिरा रहता है, रास्ती और इन्साफ़ उस के तख़्त की बुन्याद हैं। |
| 3. | आग उस के आगे आगे भड़क कर चारों तरफ़ उस के दुश्मनों को भस्म कर देती है। |
| 4. | उस की कड़कती बिजलियों ने दुनिया को रौशन कर दिया तो ज़मीन यह देख कर पेच-ओ-ताब खाने लगी। |
| 5. | रब्ब के आगे आगे, हाँ पूरी दुनिया के मालिक के आगे आगे पहाड़ मोम की तरह पिघल गए। |
| 6. | आस्मानों ने उस की रास्ती का एलान किया, और तमाम क़ौमों ने उस का जलाल देखा। |
| 7. | तमाम बुतपरस्त, हाँ सब जो बुतों पर फ़ख़र करते हैं शर्मिन्दा हों। ऐ तमाम माबूदो, उसे सिज्दा करो! |
| 8. | कोह-ए-सिय्यून सुन कर ख़ुश हुआ। ऐ रब्ब, तेरे फ़ैसलों के बाइस यहूदाह की बेटियाँ बाग़ बाग़ हुईं। |
| 9. | क्यूँकि तू ऐ रब्ब, पूरी दुनिया पर सब से आला है, तू तमाम माबूदों से सरबुलन्द है। |
| 10. | तुम जो रब्ब से मुहब्बत रखते हो, बुराई से नफ़रत करो! रब्ब अपने ईमानदारों की जान को मह्फ़ूज़ रखता है, वह उन्हें बेदीनों के क़ब्ज़े से छुड़ाता है। |
| 11. | रास्तबाज़ के लिए नूर का और दिल के दियानतदारों के लिए शादमानी का बीज बोया गया है। |
| 12. | ऐ रास्तबाज़ो, रब्ब से ख़ुश हो, उस के मुक़द्दस नाम की सिताइश करो। |
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