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1. | रब्ब बादशाह है, वह जलाल से मुलब्बस है। रब्ब जलाल से मुलब्बस और क़ुद्रत से कमरबस्ता है। यक़ीनन दुनिया मज़्बूत बुन्याद पर क़ाइम है, और वह नहीं डगमगाएगी। |
2. | तेरा तख़्त क़दीम ज़माने से क़ाइम है, तू अज़ल से मौजूद है। |
3. | ऐ रब्ब, सैलाब गरज उठे, सैलाब शोर मचा कर गरज उठे, सैलाब ठाठें मार कर गरज उठे। |
4. | लेकिन एक है जो गहरे पानी के शोर से ज़ियादा ज़ोरावर, जो समुन्दर की ठाठों से ज़ियादा ताक़तवर है। रब्ब जो बुलन्दियों पर रहता है कहीं ज़ियादा अज़ीम है। |
5. | ऐ रब्ब, तेरे अह्काम हर तरह से क़ाबिल-ए-एतिमाद हैं। तेरा घर हमेशा तक क़ुद्दूसियत से आरास्ता रहेगा। |
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