Psalms (83/150)  

1. गीत। आसफ़ का ज़बूर। ऐ अल्लाह, ख़ामोश न रह! ऐ अल्लाह, चुप न रह!
2. देख, तेरे दुश्मन शोर मचा रहे हैं, तुझ से नफ़रत करने वाले अपना सर तेरे ख़िलाफ़ उठा रहे हैं।
3. तेरी क़ौम के ख़िलाफ़ वह चालाक मन्सूबे बाँध रहे हैं, जो तेरी आड़ में छुप गए हैं उन के ख़िलाफ़ साज़िशें कर रहे हैं।
4. वह कहते हैं, “आओ, हम उन्हें मिटा दें ताकि क़ौम नेस्त हो जाए और इस्राईल का नाम-ओ-निशान बाक़ी न रहे।”
5. क्यूँकि वह आपस में सलाह-मश्वरा करने के बाद दिली तौर पर मुत्तहिद हो गए हैं, उन्हों ने तेरे ही ख़िलाफ़ अह्द बाँधा है।
6. उन में अदोम के ख़ैमे, इस्माईली, मोआब, हाजिरी,
7. जबाल, अम्मोन, अमालीक़, फिलिस्तिया और सूर के बाशिन्दे शामिल हो गए हैं।
8. असूर भी उन में शरीक हो कर लूत की औलाद को सहारा दे रहा है। (सिलाह)
9. उन के साथ वही सुलूक कर जो तू ने मिदियानियों से यानी क़ैसोन नदी पर सीसरा और याबीन से किया।
10. क्यूँकि वह ऐन-दोर के पास हलाक हो कर खेत में गोबर बन गए।
11. उन के शुरफ़ा के साथ वही बरताओ कर जो तू ने ओरेब और ज़एब से किया। उन के तमाम सरदार ज़िबह और ज़ल्मुन्ना की मानिन्द बन जाएँ,
12. जिन्हों ने कहा, “आओ, हम अल्लाह की चरागाहों पर क़ब्ज़ा करें।”
13. ऐ मेरे ख़ुदा, उन्हें लुढ़कबूटी और हवा में उड़ते हुए भूसे की मानिन्द बना दे।
14. जिस तरह आग पूरे जंगल में फैल जाती और एक ही शोला पहाड़ों को झुलसा देता है,
15. उसी तरह अपनी आँधी से उन का ताक़्क़ुब कर, अपने तूफ़ान से उन को दह्शतज़दा कर दे।
16. ऐ रब्ब, उन का मुँह काला कर ताकि वह तेरा नाम तलाश करें।
17. वह हमेशा तक शर्मिन्दा और हवासबाख़्ता रहें, वह शर्मसार हो कर हलाक हो जाएँ।
18. तब ही वह जान लेंगे कि तू ही जिस का नाम रब्ब है अल्लाह तआला यानी पूरी दुनिया का मालिक है।

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