Psalms (79/150)  

1. आसफ़ का ज़बूर। ऐ अल्लाह, अजनबी क़ौमें तेरी मौरूसी ज़मीन में घुस आई हैं। उन्हों ने तेरी मुक़द्दस सुकूनतगाह की बेहुरमती करके यरूशलम को मल्बे का ढेर बना दिया है।
2. उन्हों ने तेरे ख़ादिमों की लाशें परिन्दों को और तेरे ईमानदारों का गोश्त जंगली जानवरों को खिला दिया है।
3. यरूशलम के चारों तरफ़ उन्हों ने ख़ून की नदियाँ बहाईं, और कोई बाक़ी न रहा जो मुर्दों को दफ़नाता।
4. हमारे पड़ोसियों ने हमें मज़ाक़ का निशाना बना लिया है, इर्दगिर्द की क़ौमें हमारी हंसी उड़ाती और लान-तान करती हैं।
5. ऐ रब्ब, कब तक? क्या तू हमेशा तक ग़ुस्से होगा? तेरी ग़ैरत कब तक आग की तरह भड़कती रहेगी?
6. अपना ग़ज़ब उन अक़्वाम पर नाज़िल कर जो तुझे तस्लीम नहीं करतीं, उन सल्तनतों पर जो तेरे नाम को नहीं पुकारतीं।
7. क्यूँकि उन्हों ने याक़ूब को हड़प करके उस की रिहाइशगाह तबाह कर दी है।
8. हमें उन गुनाहों के क़ुसूरवार न ठहरा जो हमारे बापदादा से सरज़द हुए। हम पर रहम करने में जल्दी कर, क्यूँकि हम बहुत पस्तहाल हो गए हैं।
9. ऐ हमारी नजात के ख़ुदा, हमारी मदद कर ताकि तेरे नाम को जलाल मिले। हमें बचा, अपने नाम की ख़ातिर हमारे गुनाहों को मुआफ़ कर।
10. दीगर अक़्वाम क्यूँ कहें, “उन का ख़ुदा कहाँ है?” हमारे देखते देखते उन्हें दिखा कि तू अपने ख़ादिमों के ख़ून का बदला लेता है।
11. क़ैदियों की आहें तुझ तक पहुँचीं, जो मरने को हैं उन्हें अपनी अज़ीम क़ुद्रत से मह्फ़ूज़ रख।
12. ऐ रब्ब, जो लान-तान हमारे पड़ोसियों ने तुझ पर बरसाई है उसे सात गुना उन के सरों पर वापस ला।
13. तब हम जो तेरी क़ौम और तेरी चरागाह की भेड़ें हैं अबद तक तेरी सिताइश करेंगे, पुश्त-दर-पुश्त तेरी हम्द-ओ-सना करेंगे।

  Psalms (79/150)