Psalms (75/150)  

1. आसफ़ का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तबाह न कर। ऐ अल्लाह, तेरा शुक्र हो, तेरा शुक्र! तेरा नाम उन के क़रीब है जो तेरे मोजिज़े बयान करते हैं।
2. अल्लाह फ़रमाता है, “जब मेरा वक़्त आएगा तो मैं इन्साफ़ से अदालत करूँगा।
3. गो ज़मीन अपने बाशिन्दों समेत डगमगाने लगे, लेकिन मैं ही ने उस के सतूनों को मज़्बूत कर दिया है। (सिलाह)
4. शेख़ीबाज़ों से मैं ने कहा, ‘डींगें मत मारो,’ और बेदीनों से, ‘अपने आप पर फ़ख़र मत करो ।
5. न अपनी ताक़त पर शेख़ी मारो , न अकड़ कर कुफ़्र बको’।”
6. क्यूँकि सरफ़राज़ी न मशरिक़ से, न मग़रिब से और न बियाबान से आती है
7. बल्कि अल्लाह से जो मुन्सिफ़ है। वही एक को पस्त कर देता है और दूसरे को सरफ़राज़।
8. क्यूँकि रब्ब के हाथ में झागदार और मसालेदार मै का पियाला है जिसे वह लोगों को पिला देता है। यक़ीनन दुनिया के तमाम बेदीनों को इसे आख़िरी क़तरे तक पीना है।
9. लेकिन मैं हमेशा अल्लाह के अज़ीम काम सुनाऊँगा, हमेशा याक़ूब के ख़ुदा की मद्हसराई करूँगा।
10. अल्लाह फ़रमाता है, “मैं तमाम बेदीनों की कमर तोड़ दूँगा जबकि रास्तबाज़ सरफ़राज़ होगा ।”

  Psalms (75/150)