Psalms (73/150)  

1. आसफ़ का ज़बूर। यक़ीनन अल्लाह इस्राईल पर मेहरबान है, उन पर जिन के दिल पाक हैं।
2. लेकिन मैं फिसलने को था, मेरे क़दम लग़्ज़िश खाने को थे।
3. क्यूँकि शेख़ीबाज़ों को देख कर मैं बेचैन हो गया, इस लिए कि बेदीन इतने ख़ुशहाल हैं।
4. मरते वक़्त उन को कोई तक्लीफ़ नहीं होती, और उन के जिस्म मोटे-ताज़े रहते हैं।
5. आम लोगों के मसाइल से उन का वास्ता नहीं पड़ता। जिस दर्द-ओ-करब में दूसरे मुब्तला रहते हैं उस से वह आज़ाद होते हैं।
6. इस लिए उन के गले में तकब्बुर का हार है, वह ज़ुल्म का लिबास पहने फिरते हैं।
7. चर्बी के बाइस उन की आँखें उभर आई हैं। उन के दिल बेलगाम वहमों की गिरिफ़्त में रहते हैं।
8. वह मज़ाक़ उड़ा कर बुरी बातें करते हैं, अपने ग़रूर में ज़ुल्म की धमकियाँ देते हैं।
9. वह समझते हैं कि जो कुछ हमारे मुँह से निकलता है वह आस्मान से है, जो बात हमारी ज़बान पर आ जाती है वह पूरी ज़मीन के लिए अहमियत रखती है।
10. चुनाँचे अवाम उन की तरफ़ रुजू होते हैं, क्यूँकि उन के हाँ कस्रत का पानी पिया जाता है।
11. वह कहते हैं, “अल्लाह को क्या पता है? अल्लाह तआला को इल्म ही नहीं।”
12. देखो, यही है बेदीनों का हाल। वह हमेशा सुकून से रहते, हमेशा अपनी दौलत में इज़ाफ़ा करते हैं।
13. यक़ीनन मैं ने बेफ़ाइदा अपना दिल पाक रखा और अबस अपने हाथ ग़लत काम करने से बाज़ रखे।
14. क्यूँकि दिन भर मैं दर्द-ओ-करब में मुब्तला रहता हूँ, हर सुब्ह मुझे सज़ा दी जाती है।
15. अगर मैं कहता, “मैं भी उन की तरह बोलूँगा,” तो तेरे फ़र्ज़न्दों की नसल से ग़द्दारी करता।
16. मैं सोच-बिचार में पड़ गया ताकि बात समझूँ, लेकिन सोचते सोचते थक गया, अज़ियत में सिर्फ़ इज़ाफ़ा हुआ।
17. तब मैं अल्लाह के मक़्दिस में दाख़िल हो कर समझ गया कि उन का अन्जाम क्या होगा।
18. यक़ीनन तू उन्हें फिसलनी जगह पर रखेगा, उन्हें फ़रेब में फंसा कर ज़मीन पर पटख़ देगा।
19. अचानक ही वह तबाह हो जाएँगे, दह्शतनाक मुसीबत में फंस कर मुकम्मल तौर पर फ़ना हो जाएँगे।
20. ऐ रब्ब, जिस तरह ख़्वाब जाग उठते वक़्त ग़ैरहक़ीक़ी साबित होता है उसी तरह तू उठते वक़्त उन्हें वहम क़रार दे कर हक़ीर जानेगा।
21. जब मेरे दिल में तल्ख़ी पैदा हुई और मेरे बातिन में सख़्त दर्द था
22. तो मैं अहमक़ था। मैं कुछ नहीं समझता था बल्कि तेरे सामने मवेशी की मानिन्द था।
23. तो भी मैं हमेशा तेरे साथ लिपटा रहूँगा, क्यूँकि तू मेरा दहना हाथ थामे रखता है।
24. तू अपने मश्वरे से मेरी क़ियादत करके आख़िर में इज़्ज़त के साथ मेरा ख़ैरमक़्दम करेगा।
25. जब तू मेरे साथ है तो मुझे आस्मान पर क्या कमी होगी? जब तू मेरे साथ है तो मैं ज़मीन की कोई भी चीज़ नहीं चाहूँगा।
26. ख़्वाह मेरा जिस्म और मेरा दिल जवाब दे जाएँ, लेकिन अल्लाह हमेशा तक मेरे दिल की चटान और मेरी मीरास है।
27. यक़ीनन जो तुझ से दूर हैं वह हलाक हो जाएँगे, जो तुझ से बेवफ़ा हैं उन्हें तू तबाह कर देगा।
28. लेकिन मेरे लिए अल्लाह की क़ुर्बत सब कुछ है। मैं ने रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ को अपनी पनाहगाह बनाया है, और मैं लोगों को तेरे तमाम काम सुनाऊँगा।

  Psalms (73/150)