← Psalms (67/150) → |
1. | ज़बूर। तारदार साज़ों के साथ गाना है। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। अल्लाह हम पर मेहरबानी करे और हमें बर्कत दे। वह अपने चिहरे का नूर हम पर चमकाए (सिलाह) |
2. | ताकि ज़मीन पर तेरी राह और तमाम क़ौमों में तेरी नजात मालूम हो जाए। |
3. | ऐ अल्लाह, क़ौमें तेरी सिताइश करें, तमाम क़ौमें तेरी सिताइश करें। |
4. | उम्मतें शादमान हो कर ख़ुशी के नारे लगाएँ, क्यूँकि तू इन्साफ़ से क़ौमों की अदालत करेगा और ज़मीन पर उम्मतों की क़ियादत करेगा। (सिलाह) |
5. | ऐ अल्लाह, क़ौमें तेरी सिताइश करें, तमाम क़ौमें तेरी सिताइश करें। |
6. | ज़मीन अपनी फ़सलें देती है। अल्लाह हमारा ख़ुदा हमें बर्कत दे! |
7. | अल्लाह हमें बर्कत दे, और दुनिया की इन्तिहाएँ सब उस का ख़ौफ़ मानें। |
← Psalms (67/150) → |