Psalms (59/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तबाह न कर। यह सुनहरा गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब साऊल ने अपने आदमियों को दाऊद के घर की पहरादारी करने के लिए भेजा ताकि जब मौक़ा मिले उसे क़त्ल करें। ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे मेरे दुश्मनों से बचा। उन से मेरी हिफ़ाज़त कर जो मेरे ख़िलाफ़ उठे हैं।
2. मुझे बदकारों से छुटकारा दे, ख़ूँख़्वारों से रिहा कर।
3. देख, वह मेरी ताक में बैठे हैं। ऐ रब्ब, ज़बरदस्त आदमी मुझ पर हम्लाआवर हैं, हालाँकि मुझ से न ख़ता हुई न गुनाह।
4. मैं बेक़ुसूर हूँ, ताहम वह दौड़ दौड़ कर मुझ से लड़ने की तय्यारियाँ कर रहे हैं। चुनाँचे जाग उठ, मेरी मदद करने आ, जो कुछ हो रहा है उस पर नज़र डाल।
5. ऐ रब्ब, लश्करों और इस्राईल के ख़ुदा, दीगर तमाम क़ौमों को सज़ा देने के लिए जाग उठ! उन सब पर करम न फ़रमा जो शरीर और ग़द्दार हैं। (सिलाह)
6. हर शाम को वह वापस आ जाते और कुत्तों की तरह भौंकते हुए शहर की गलियों में घूमते फिरते हैं।
7. देख, उन के मुँह से राल टपक रही है, उन के होंटों से तल्वारें निकल रही हैं। क्यूँकि वह समझते हैं, “कौन सुनेगा?”
8. लेकिन तू ऐ रब्ब, उन पर हँसता है, तू तमाम क़ौमों का मज़ाक़ उड़ाता है।
9. ऐ मेरी क़ुव्वत, मेरी आँखें तुझ पर लगी रहेंगी, क्यूँकि अल्लाह मेरा क़िलआ है।
10. मेरा ख़ुदा अपनी मेहरबानी के साथ मुझ से मिलने आएगा, अल्लाह बख़्श देगा कि मैं अपने दुश्मनों की शिकस्त देख कर ख़ुश हूँगा।
11. ऐ अल्लाह हमारी ढाल, उन्हें हलाक न कर, वर्ना मेरी क़ौम तेरा काम भूल जाएगी। अपनी क़ुद्रत का इज़्हार यूँ कर कि वह इधर उधर लड़खड़ा कर गिर जाएँ।
12. जो कुछ भी उन के मुँह से निकलता है वह गुनाह है, वह लानतें और झूट ही सुनाते हैं। चुनाँचे उन्हें उन के तकब्बुर के जाल में फंसने दे।
13. ग़ुस्से में उन्हें तबाह कर! उन्हें यूँ तबाह कर कि उन का नाम-ओ-निशान तक न रहे। तब लोग दुनिया की इन्तिहा तक जान लेंगे कि अल्लाह याक़ूब की औलाद पर हुकूमत करता है। (सिलाह)
14. हर शाम को वह वापस आ जाते और कुत्तों की तरह भौंकते हुए शहर की गलियों में घूमते फिरते हैं।
15. वह इधर उधर गश्त लगा कर खाने की चीज़ें ढूँडते हैं। अगर पेट न भरे तो ग़ुर्राते रहते हैं।
16. लेकिन मैं तेरी क़ुद्रत की मद्हसराई करूँगा, सुब्ह को ख़ुशी के नारे लगा कर तेरी शफ़्क़त की सिताइश करूँगा। क्यूँकि तू मेरा क़िलआ और मुसीबत के वक़्त मेरी पनाहगाह है।
17. ऐ मेरी क़ुव्वत, मैं तेरी मद्हसराई करूँगा, क्यूँकि अल्लाह मेरा क़िलआ और मेरा मेहरबान ख़ुदा है।

  Psalms (59/150)