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1. | दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तबाह न कर। यह सुनहरा गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब वह साऊल से भाग कर ग़ार में छुप गया। ऐ अल्लाह, मुझ पर मेहरबानी कर, मुझ पर मेहरबानी कर! क्यूँकि मेरी जान तुझ में पनाह लेती है। जब तक आफ़त मुझ पर से गुज़र न जाए मैं तेरे परों के साय में पनाह लूँगा। |
2. | मैं अल्लाह तआला को पुकारता हूँ, अल्लाह से जो मेरा मुआमला ठीक करेगा। |
3. | वह आस्मान से मदद भेज कर मुझे छुटकारा देगा और उन की रुस्वाई करेगा जो मुझे तंग कर रहे हैं। (सिलाह) अल्लाह अपना करम और वफ़ादारी भेजेगा। |
4. | मैं इन्सान को हड़प करने वाले शेरबबरों के बीच में लेटा हुआ हूँ, उन के दर्मियान जिन के दाँत नेज़े और तीर हैं और जिन की ज़बान तेज़ तल्वार है। |
5. | ऐ अल्लाह, आस्मान पर सरबुलन्द हो जा! तेरा जलाल पूरी दुनिया पर छा जाए! |
6. | उन्हों ने मेरे क़दमों के आगे फंदा बिछा दिया, और मेरी जान ख़ाक में दब गई है। उन्हों ने मेरे सामने गढ़ा खोद लिया, लेकिन वह ख़ुद उस में गिर गए हैं। (सिलाह) |
7. | ऐ अल्लाह, मेरा दिल मज़्बूत, मेरा दिल साबितक़दम है। मैं साज़ बजा कर तेरी मद्हसराई करूँगा। |
8. | ऐ मेरी जान, जाग उठ! ऐ सितार और सरोद, जाग उठो! आओ, मैं तुलू-ए-सुब्ह को जगाऊँ। |
9. | ऐ रब्ब, क़ौमों में मैं तेरी सिताइश, उम्मतों में तेरी मद्हसराई करूँगा। |
10. | क्यूँकि तेरी अज़ीम शफ़्क़त आस्मान जितनी बुलन्द है, तेरी वफ़ादारी बादलों तक पहुँचती है। |
11. | ऐ अल्लाह, आस्मान पर सरफ़राज़ हो! तेरा जलाल पूरी दुनिया पर छा जाए। |
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