← Psalms (54/150) → |
1. | दाऊद का ज़बूर। हिक्मत का यह गीत तारदार साज़ों के साथ गाना है। यह उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब ज़ीफ़ के बाशिन्दों ने साऊल के पास जा कर कहा, “दाऊद हमारे पास छुपा हुआ है।” ऐ अल्लाह, अपने नाम के ज़रीए से मुझे छुटकारा दे! अपनी क़ुद्रत के ज़रीए से मेरा इन्साफ़ कर! |
2. | ऐ अल्लाह, मेरी इल्तिजा सुन, मेरे मुँह के अल्फ़ाज़ पर ध्यान दे। |
3. | क्यूँकि परदेसी मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं, ज़ालिम जो अल्लाह का लिहाज़ नहीं करते मेरी जान लेने के दरपै हैं। (सिलाह) |
4. | लेकिन अल्लाह मेरा सहारा है, रब्ब मेरी ज़िन्दगी क़ाइम रखता है। |
5. | वह मेरे दुश्मनों की शरारत उन पर वापस लाएगा। चुनाँचे अपनी वफ़ादारी दिखा कर उन्हें तबाह कर दे! |
6. | मैं तुझे रज़ाकाराना क़ुर्बानी पेश करूँगा। ऐ रब्ब, मैं तेरे नाम की सिताइश करूँगा, क्यूँकि वह भला है। |
7. | क्यूँकि उस ने मुझे सारी मुसीबत से रिहाई दी, और अब मैं अपने दुश्मनों की शिकस्त देख कर ख़ुश हूँगा। |
← Psalms (54/150) → |