Psalms (50/150)  

1. आसफ़ का ज़बूर। रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा बोल उठा है, उस ने तुलू-ए-सुब्ह से ले कर ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब तक पूरी दुनिया को बुलाया है।
2. अल्लाह का नूर सिय्यून से चमक उठा है, उस पहाड़ से जो कामिल हुस्न का इज़्हार है।
3. हमारा ख़ुदा आ रहा है, वह ख़ामोश नहीं रहेगा। उस के आगे आगे सब कुछ भस्म हो रहा है, उस के इर्दगिर्द तेज़ आँधी चल रही है।
4. वह आस्मान-ओ-ज़मीन को आवाज़ देता है, “अब मैं अपनी क़ौम की अदालत करूँगा।
5. मेरे ईमानदारों को मेरे हुज़ूर जमा करो, उन्हें जिन्हों ने क़ुर्बानियाँ पेश करके मेरे साथ अह्द बाँधा है।”
6. आस्मान उस की रास्ती का एलान करेंगे, क्यूँकि अल्लाह ख़ुद इन्साफ़ करने वाला है। (सिलाह)
7. “ऐ मेरी क़ौम, सुन! मुझे बात करने दे। ऐ इस्राईल, मैं तेरे ख़िलाफ़ गवाही दूँगा। मैं अल्लाह तेरा ख़ुदा हूँ।
8. मैं तुझे तेरी ज़बह की क़ुर्बानियों के बाइस मलामत नहीं कर रहा। तेरी भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ तो मुसल्सल मेरे सामने हैं।
9. न मैं तेरे घर से बैल लूँगा, न तेरे बाड़ों से बक्रे।
10. क्यूँकि जंगल के तमाम जानदार मेरे ही हैं, हज़ारों पहाड़ियों पर बसने वाले जानवर मेरे ही हैं।
11. मैं पहाड़ों के हर परिन्दे को जानता हूँ, और जो भी मैदानों में हर्कत करता है वह मेरा है।
12. अगर मुझे भूक लगती तो मैं तुझे न बताता, क्यूँकि ज़मीन और जो कुछ उस पर है मेरा है।
13. क्या तू समझता है कि मैं साँडों का गोश्त खाना या बक्रों का ख़ून पीना चाहता हूँ?
14. अल्लाह को शुक्रगुज़ारी की क़ुर्बानी पेश कर, और वह मन्नत पूरी कर जो तू ने अल्लाह तआला के हुज़ूर मानी है।
15. मुसीबत के दिन मुझे पुकार। तब मैं तुझे नजात दूँगा और तू मेरी तम्जीद करेगा।”
16. लेकिन बेदीन से अल्लाह फ़रमाता है, “मेरे अह्काम सुनाने और मेरे अह्द का ज़िक्र करने का तेरा क्या हक़ है?
17. तू तो तर्बियत से नफ़रत करता और मेरे फ़रमान कचरे की तरह अपने पीछे फैंक देता है।
18. किसी चोर को देखते ही तू उस का साथ देता है, तू ज़िनाकारों से रिफ़ाक़त रखता है।
19. तू अपने मुँह को बुरे काम के लिए इस्तेमाल करता, अपनी ज़बान को धोका देने के लिए तय्यार रखता है।
20. तू दूसरों के पास बैठ कर अपने भाई के ख़िलाफ़ बोलता है, अपनी ही माँ के बेटे पर तुहमत लगाता है।
21. यह कुछ तू ने किया है, और मैं ख़ामोश रहा। तब तू समझा कि मैं बिलकुल तुझ जैसा हूँ। लेकिन मैं तुझे मलामत करूँगा, तेरे सामने ही मुआमला तर्तीब से सुनाऊँगा।
22. तुम जो अल्लाह को भूले हुए हो, बात समझ लो, वर्ना मैं तुमहें फाड़ डालूँगा। उस वक़्त कोई नहीं होगा जो तुम्हें बचाए।
23. जो शुक्रगुज़ारी की क़ुर्बानी पेश करे वह मेरी ताज़ीम करता है। जो मुसम्मम इरादे से ऐसी राह पर चले उसे मैं अल्लाह की नजात दिखाऊँगा।”

  Psalms (50/150)