Psalms (37/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। शरीरों के बाइस बेचैन न हो जा, बदकारों पर रशक न कर।
2. क्यूँकि वह घास की तरह जल्द ही मुरझा जाएँगे, हरियाली की तरह जल्द ही सूख जाएँगे।
3. रब्ब पर भरोसा रख कर भलाई कर, मुल्क में रह कर वफ़ादारी की पर्वरिश कर।
4. रब्ब से लुत्फ़अन्दोज़ हो तो जो तेरा दिल चाहे वह तुझे देगा।
5. अपनी राह रब्ब के सपुर्द कर। उस पर भरोसा रख तो वह तुझे काम्याबी बख़्शेगा।
6. तब वह तेरी रास्तबाज़ी सूरज की तरह तुलू होने देगा और तेरा इन्साफ़ दोपहर की रौशनी की तरह चमकने देगा।
7. रब्ब के हुज़ूर चुप हो कर सब्र से उस का इन्तिज़ार कर। बेक़रार न हो अगर साज़िशें करने वाला काम्याब हो।
8. ख़फ़ा होने से बाज़ आ, ग़ुस्से को छोड़ दे। रंजीदा न हो, वर्ना बुरा ही नतीजा निकलेगा।
9. क्यूँकि शरीर मिट जाएँगे जबकि रब्ब से उम्मीद रखने वाले मुल्क को मीरास में पाएँगे।
10. मज़ीद थोड़ी देर सब्र कर तो बेदीन का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा। तू उस का खोज लगाएगा, लेकिन कहीं नहीं पाएगा।
11. लेकिन हलीम मुल्क को मीरास में पा कर बड़े अम्न और सुकून से लुत्फ़अन्दोज़ होंगे।
12. बेशक बेदीन दाँत पीस पीस कर रास्तबाज़ के ख़िलाफ़ साज़िशें करता रहे।
13. लेकिन रब्ब उस पर हँसता है, क्यूँकि वह जानता है कि उस का अन्जाम क़रीब ही है।
14. बेदीनों ने तल्वार को खैंचा और कमान को तान लिया है ताकि नाचारों और ज़रूरतमन्दों को गिरा दें और सीधी राह पर चलने वालों को क़त्ल करें।
15. लेकिन उन की तल्वार उन के अपने दिल में घोंपी जाएगी, उन की कमान टूट जाएगी।
16. रास्तबाज़ को जो थोड़ा बहुत हासिल है वह बहुत बेदीनों की दौलत से बेहतर है।
17. क्यूँकि बेदीनों का बाज़ू टूट जाएगा जबकि रब्ब रास्तबाज़ों को सँभालता है।
18. रब्ब बेइल्ज़ामों के दिन जानता है, और उन की मौरूसी मिल्कियत हमेशा के लिए क़ाइम रहेगी।
19. मुसीबत के वक़्त वह शर्मसार नहीं होंगे, काल भी पड़े तो सेर होंगे।
20. लेकिन बेदीन हलाक हो जाएँगे, और रब्ब के दुश्मन चरागाहों की शान की तरह नेस्त हो जाएँगे, धुएँ की तरह ग़ाइब हो जाएँगे।
21. बेदीन क़र्ज़ लेता और उसे नहीं उतारता, लेकिन रास्तबाज़ मेहरबान है और फ़य्याज़ी से देता है।
22. क्यूँकि जिन्हें रब्ब बर्कत दे वह मुल्क को मीरास में पाएँगे, लेकिन जिन पर वह लानत भेजे उन का नाम-ओ-निशान तक नहीं रहेगा।
23. अगर किसी के पाँओ जम जाएँ तो यह रब्ब की तरफ़ से है। ऐसे शख़्स की राह को वह पसन्द करता है।
24. अगर गिर भी जाए तो पड़ा नहीं रहेगा, क्यूँकि रब्ब उस के हाथ का सहारा बना रहेगा।
25. मैं जवान था और अब बूढ़ा हो गया हूँ। लेकिन मैं ने कभी नहीं देखा कि रास्तबाज़ को तर्क किया गया या उस के बच्चों को भीक माँगनी पड़ी।
26. वह हमेशा मेहरबान और क़र्ज़ देने के लिए तय्यार है। उस की औलाद बर्कत का बाइस होगी।
27. बुराई से बाज़ आ कर भलाई कर। तब तू हमेशा के लिए मुल्क में आबाद रहेगा,
28. क्यूँकि रब्ब को इन्साफ़ पियारा है, और वह अपने ईमानदारों को कभी तर्क नहीं करेगा। वह अबद तक मह्फ़ूज़ रहेंगे जबकि बेदीनों की औलाद का नाम-ओ-निशान तक नहीं रहेगा।
29. रास्तबाज़ मुल्क को मीरास में पा कर उस में हमेशा बसेंगे।
30. रास्तबाज़ का मुँह हिक्मत बयान करता और उस की ज़बान से इन्साफ़ निकलता है।
31. अल्लाह की शरीअत उस के दिल में है, और उस के क़दम कभी नहीं डगमगाएँगे।
32. बेदीन रास्तबाज़ की ताक में बैठ कर उसे मार डालने का मौक़ा ढूँडता है।
33. लेकिन रब्ब रास्तबाज़ को उस के हाथ में नहीं छोड़ेगा, वह उसे अदालत में मुज्रिम नहीं ठहरने देगा।
34. रब्ब के इन्तिज़ार में रह और उस की राह पर चलता रह। तब वह तुझे सरफ़राज़ करके मुल्क का वारिस बनाएगा, और तू बेदीनों की हलाकत देखेगा।
35. मैं ने एक बेदीन और ज़ालिम आदमी को देखा जो फलते फूलते देओदार के दरख़्त की तरह आस्मान से बातें करने लगा।
36. लेकिन थोड़ी देर के बाद जब मैं दुबारा वहाँ से गुज़रा तो वह था नहीं। मैं ने उस का खोज लगाया, लेकिन कहीं न मिला।
37. बेइल्ज़ाम पर ध्यान दे और दियानतदार पर ग़ौर कर, क्यूँकि आख़िरकार उसे अम्न और सुकून हासिल होगा।
38. लेकिन मुज्रिम मिल कर तबाह हो जाएँगे, और बेदीनों को आख़िरकार रू-ए-ज़मीन पर से मिटाया जाएगा।
39. रास्तबाज़ों की नजात रब्ब की तरफ़ से है, मुसीबत के वक़्त वही उन का क़िलआ है।
40. रब्ब ही उन की मदद करके उन्हें छुटकारा देगा, वही उन्हें बेदीनों से बचा कर नजात देगा। क्यूँकि उन्हों ने उस में पनाह ली है।

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