Psalms (3/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। उस वक़्त जब उसे अपने बेटे अबीसलूम से भागना पड़ा। ऐ रब्ब, मेरे दुश्मन कितने ज़ियादा हैं, कितने लोग मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं!
2. मेरे बारे में बहुतेरे कह रहे हैं, “अल्लाह इसे छुटकारा नहीं देगा।” (सिलाह )
3. लेकिन तू ऐ रब्ब, चारों तरफ़ मेरी हिफ़ाज़त करने वाली ढाल है। तू मेरी इज़्ज़त है जो मेरे सर को उठाए रखता है।
4. मैं बुलन्द आवाज़ से रब्ब को पुकारता हूँ, और वह अपने मुक़द्दस पहाड़ से मेरी सुनता है। (सिलाह)
5. मैं आराम से लेट कर सो गया, फिर जाग उठा, क्यूँकि रब्ब ख़ुद मुझे सँभाले रखता है।
6. उन हज़ारों से मैं नहीं डरता जो मुझे घेरे रखते हैं।
7. ऐ रब्ब, उठ! ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे रिहा कर! क्यूँकि तू ने मेरे तमाम दुश्मनों के मुँह पर थप्पड़ मारा, तू ने बेदीनों के दाँतों को तोड़ दिया है।
8. रब्ब के पास नजात है। तेरी बर्कत तेरी क़ौम पर आए। (सिलाह)

  Psalms (3/150)