Psalms (29/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। ऐ अल्लाह के फ़र्ज़न्दो, रब्ब की तम्जीद करो! रब्ब के जलाल और क़ुद्रत की सिताइश करो!
2. रब्ब के नाम को जलाल दो। मुक़द्दस लिबास से आरास्ता हो कर रब्ब को सिज्दा करो।
3. रब्ब की आवाज़ समुन्दर के ऊपर गूँजती है। जलाल का ख़ुदा गरजता है, रब्ब गहरे पानी के ऊपर गरजता है।
4. रब्ब की आवाज़ ज़ोरदार है, रब्ब की आवाज़ पुरजलाल है।
5. रब्ब की आवाज़ देओदार के दरख़्तों को तोड़ डालती है, रब्ब लुब्नान के देओदार के दरख़्तों को टुकड़े टुकड़े कर देता है।
6. वह लुब्नान को बछड़े और कोह-ए-सिर्यून को जंगली बैल के बच्चे की तरह कूदने फाँदने देता है।
7. रब्ब की आवाज़ आग के शोले भड़का देती है।
8. रब्ब की आवाज़ रेगिस्तान को हिला देती है, रब्ब दश्त-ए-क़ादिस को काँपने देता है।
9. रब्ब की आवाज़ सुन कर हिरनी दर्द-ए-ज़ह में मुब्तला हो जाती और जंगलों के पत्ते झड़ जाते हैं। लेकिन उस की सुकूनतगाह में सब पुकारते हैं, “जलाल!”
10. रब्ब सैलाब के ऊपर तख़्तनशीन है, रब्ब बादशाह की हैसियत से अबद तक तख़्तनशीन है।
11. रब्ब अपनी क़ौम को तक़वियत देगा, रब्ब अपने लोगों को सलामती की बर्कत देगा।

  Psalms (29/150)