Psalms (26/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। ऐ रब्ब, मेरा इन्साफ़ कर, क्यूँकि मेरा चाल-चलन बेक़ुसूर है। मैं ने रब्ब पर भरोसा रखा है, और मैं डाँवाँडोल नहीं हो जाऊँगा।
2. ऐ रब्ब, मुझे जाँच ले, मुझे आज़्मा कर दिल की तह तक मेरा मुआइना कर।
3. क्यूँकि तेरी शफ़्क़त मेरी आँखों के सामने रही है, मैं तेरी सच्ची राह पर चलता रहा हूँ।
4. न मैं धोकेबाज़ों की मजलिस में बैठता, न चालाक लोगों से रिफ़ाक़त रखता हूँ।
5. मुझे शरीरों के इजतिमाओं से नफ़रत है, बेदीनों के साथ मैं बैठता भी नहीं।
6. ऐ रब्ब, मैं अपने हाथ धो कर अपनी बेगुनाही का इज़्हार करता हूँ। मैं तेरी क़ुर्बानगाह के गिर्द फिर कर
7. बुलन्द आवाज़ से तेरी हम्द-ओ-सना करता, तेरे तमाम मोजिज़ात का एलान करता हूँ।
8. ऐ रब्ब, तेरी सुकूनतगाह मुझे पियारी है, जिस जगह तेरा जलाल ठहरता है वह मुझे अज़ीज़ है।
9. मेरी जान को मुझ से छीन कर मुझे गुनाहगारों में शामिल न कर! मेरी ज़िन्दगी को मिटा कर मुझे ख़ूँख़्वारों में शुमार न कर,
10. ऐसे लोगों में जिन के हाथ शर्मनाक हर्कतों से आलूदा हैं, जो हर वक़्त रिश्वत खाते हैं।
11. क्यूँकि मैं बेगुनाह ज़िन्दगी गुज़ारता हूँ। फ़िद्या दे कर मुझे छुटकारा दे! मुझ पर मेहरबानी कर!
12. मेरे पाँओ हमवार ज़मीन पर क़ाइम हो गए हैं, और मैं इजतिमाओं में रब्ब की सिताइश करूँगा।

  Psalms (26/150)