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1. | दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ रब्ब, बादशाह तेरी क़ुव्वत देख कर शादमान है, वह तेरी नजात की कितनी बड़ी ख़ुशी मनाता है। |
2. | तू ने उस की दिली ख़्वाहिश पूरी की और इन्कार न किया जब उस की आर्ज़ू ने होंटों पर अल्फ़ाज़ का रूप धारा। (सिलाह) |
3. | क्यूँकि तू अच्छी अच्छी बर्कतें अपने साथ ले कर उस से मिलने आया, तू ने उसे ख़ालिस सोने का ताज पहनाया। |
4. | उस ने तुझ से ज़िन्दगी पाने की आर्ज़ू की तो तू ने उसे उम्र की दराज़ी बख़्शी, मज़ीद इतने दिन कि उन की इन्तिहा नहीं। |
5. | तेरी नजात से उसे बड़ी इज़्ज़त हासिल हुई, तू ने उसे शान-ओ-शौकत से आरास्ता किया। |
6. | क्यूँकि तू उसे अबद तक बर्कत देता, उसे अपने चिहरे के हुज़ूर ला कर निहायत ख़ुश कर देता है। |
7. | क्यूँकि बादशाह रब्ब पर एतिमाद करता है, अल्लाह तआला की शफ़्क़त उसे डगमगाने से बचाएगी। |
8. | तेरे दुश्मन तेरे क़ब्ज़े में आ जाएँगे, जो तुझ से नफ़रत करते हैं उन्हें तेरा दहना हाथ पकड़ लेगा। |
9. | जब तू उन पर ज़ाहिर होगा तो वह भड़कती भट्टी की सी मुसीबत में फंस जाएँगे। रब्ब अपने ग़ज़ब में उन्हें हड़प कर लेगा, और आग उन्हें खा जाएगी। |
10. | तू उन की औलाद को रू-ए-ज़मीन पर से मिटा डालेगा, इन्सानों में उन का नाम-ओ-निशान तक नहीं रहेगा। |
11. | गो वह तेरे ख़िलाफ़ साज़िशें करते हैं तो भी उन के बुरे मन्सूबे नाकाम रहेंगे। |
12. | क्यूँकि तू उन्हें भगा कर उन के चिहरों को अपने तीरों का निशाना बना देगा। |
13. | ऐ रब्ब, उठ और अपनी क़ुद्रत का इज़्हार कर ताकि हम तेरी क़ुद्रत की तम्जीद में साज़ बजा कर गीत गाएँ। |
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