Psalms (20/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। मुसीबत के दिन रब्ब तेरी सुने, याक़ूब के ख़ुदा का नाम तुझे मह्फ़ूज़ रखे।
2. वह मक़्दिस से तेरी मदद भेजे, वह सिय्यून से तेरा सहारा बने।
3. वह तेरी ग़ल्ला की नज़रें याद करे, तेरी भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ क़बूल फ़रमाए। (सिलाह)
4. वह तेरे दिल की आर्ज़ू पूरी करे, तेरे तमाम मन्सूबों को काम्याबी बख़्शे।
5. तब हम तेरी नजात की ख़ुशी मनाएँगे, हम अपने ख़ुदा के नाम में फ़त्ह का झंडा गाड़ेंगे। रब्ब तेरी तमाम गुज़ारिशें पूरी करे।
6. अब मैं ने जान लिया है कि रब्ब अपने मसह किए हुए बादशाह की मदद करता है। वह अपने मुक़द्दस आस्मान से उस की सुन कर अपने दहने हाथ की क़ुद्रत से उसे छुटकारा देगा।
7. बाज़ अपने रथों पर, बाज़ अपने घोड़ों पर फ़ख़र करते हैं, लेकिन हम रब्ब अपने ख़ुदा के नाम पर फ़ख़र करेंगे।
8. हमारे दुश्मन झुक कर गिर जाएँगे, लेकिन हम उठ कर मज़्बूती से खड़े रहेंगे।
9. ऐ रब्ब, हमारी मदद फ़रमा! बादशाह हमारी सुने जब हम मदद के लिए पुकारें।

  Psalms (20/150)