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1. | रब्ब की हम्द हो! अपने ख़ुदा की मद्हसराई करना कितना भला है, उस की तम्जीद करना कितना पियारा और ख़ूबसूरत है। |
2. | रब्ब यरूशलम को तामीर करता और इस्राईल के मुन्तशिर जिलावतनों को जमा करता है। |
3. | वह दिलशिकस्तों को शिफ़ा दे कर उन के ज़ख़्मों पर मर्हम-पट्टी लगाता है। |
4. | वह सितारों की तादाद गिन लेता और हर एक का नाम ले कर उन्हें बुलाता है। |
5. | हमारा रब्ब अज़ीम है, और उस की क़ुद्रत ज़बरदस्त है। उस की हिक्मत की कोई इन्तिहा नहीं। |
6. | रब्ब मुसीबतज़दों को उठा खड़ा करता लेकिन बदकारों को ख़ाक में मिला देता है। |
7. | रब्ब की तम्जीद में शुक्र का गीत गाओ, हमारे ख़ुदा की ख़ुशी में सरोद बजाओ। |
8. | क्यूँकि वह आस्मान पर बादल छाने देता, ज़मीन को बारिश मुहय्या करता और पहाड़ों पर घास फूटने देता है। |
9. | वह मवेशी को चारा और कव्वे के बच्चों को वह कुछ खिलाता है जो वह शोर मचा कर माँगते हैं। |
10. | न वह घोड़े की ताक़त से लुत्फ़अन्दोज़ होता, न आदमी की मज़्बूत टाँगों से ख़ुश होता है। |
11. | रब्ब उन ही से ख़ुश होता है जो उस का ख़ौफ़ मानते और उस की शफ़्क़त के इन्तिज़ार में रहते हैं। |
12. | ऐ यरूशलम, रब्ब की मद्हसराई कर! ऐ सिय्यून, अपने ख़ुदा की हम्द कर! |
13. | क्यूँकि उस ने तेरे दरवाज़ों के कुंडे मज़्बूत करके तेरे दर्मियान बसने वाली औलाद को बर्कत दी है। |
14. | वही तेरे इलाक़े में अम्न और सुकून क़ाइम रखता और तुझे बेहतरीन गन्दुम से सेर करता है। |
15. | वह अपना फ़रमान ज़मीन पर भेजता है तो उस का कलाम तेज़ी से पहुँचता है। |
16. | वह ऊन जैसी बर्फ़ मुहय्या करता और पाला राख की तरह चारों तरफ़ बिखेर देता है। |
17. | वह अपने ओले कंकरों की तरह ज़मीन पर फैंक देता है। कौन उस की शदीद सर्दी बर्दाश्त कर सकता है? |
18. | वह एक बार फिर अपना फ़रमान भेजता है तो बर्फ़ पिघल जाती है। वह अपनी हवा चलने देता है तो पानी टपकने लगता है। |
19. | उस ने याक़ूब को अपना कलाम सुनाया, इस्राईल पर अपने अह्काम और आईन ज़ाहिर किए हैं। |
20. | ऐसा सुलूक उस ने किसी और क़ौम से नहीं किया। दीगर अक़्वाम तो तेरे अह्काम नहीं जानतीं। रब्ब की हम्द हो! |
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