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1. | रब्ब की हम्द हो! ऐ मेरी जान, रब्ब की हम्द कर। |
2. | जीते जी मैं रब्ब की सिताइश करूँगा, उम्र भर अपने ख़ुदा की मद्हसराई करूँगा। |
3. | शुरफ़ा पर भरोसा न रखो, न आदमज़ाद पर जो नजात नहीं दे सकता। |
4. | जब उस की रूह निकल जाए तो वह दुबारा ख़ाक में मिल जाता है, उसी वक़्त उस के मन्सूबे अधूरे रह जाते हैं। |
5. | मुबारक है वह जिस का सहारा याक़ूब का ख़ुदा है, जो रब्ब अपने ख़ुदा के इन्तिज़ार में रहता है। |
6. | क्यूँकि उस ने आस्मान-ओ-ज़मीन, समुन्दर और जो कुछ उन में है बनाया है। वह हमेशा तक वफ़ादार है। |
7. | वह मज़्लूमों का इन्साफ़ करता और भूकों को रोटी खिलाता है। रब्ब क़ैदियों को आज़ाद करता है। |
8. | रब्ब अंधों की आँखें बहाल करता और ख़ाक में दबे हुओं को उठा खड़ा करता है, रब्ब रास्तबाज़ को पियार करता है। |
9. | रब्ब परदेसियों की देख-भाल करता, यतीमों और बेवाओं को क़ाइम रखता है। लेकिन वह बेदीनों की राह को टेढ़ा बना कर काम्याब होने नहीं देता। |
10. | रब्ब अबद तक हुकूमत करेगा। ऐ सिय्यून, तेरा ख़ुदा पुश्त-दर-पुश्त बादशाह रहेगा। रब्ब की हम्द हो। |
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