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1. | हिक्मत का गीत। दुआ जो दाऊद ने की जब वह ग़ार में था। मैं मदद के लिए चीख़ता चिल्लाता रब्ब को पुकारता हूँ, मैं ज़ोरदार आवाज़ से रब्ब से इल्तिजा करता हूँ। |
2. | मैं अपनी आह-ओ-ज़ारी उस के सामने उंडेल देता, अपनी तमाम मुसीबत उस के हुज़ूर पेश करता हूँ। |
3. | जब मेरी रूह मेरे अन्दर निढाल हो जाती है तो तू ही मेरी राह जानता है। जिस रास्ते में मैं चलता हूँ उस में लोगों ने फंदा छुपाया है। |
4. | मैं दहनी तरफ़ नज़र डाल कर देखता हूँ, लेकिन कोई नहीं है जो मेरा ख़याल करे। मैं बच नहीं सकता, कोई नहीं है जो मेरी जान की फ़िक्र करे। |
5. | ऐ रब्ब, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ। मैं कहता हूँ, “तू मेरी पनाहगाह और ज़िन्दों के मुल्क में मेरा मौरूसी हिस्सा है।” |
6. | मेरी चीख़ों पर ध्यान दे, क्यूँकि मैं बहुत पस्त हो गया हूँ। मुझे उन से छुड़ा जो मेरा पीछा कर रहे हैं, क्यूँकि मैं उन पर क़ाबू नहीं पा सकता। |
7. | मेरी जान को क़ैदख़ाने से निकाल ला ताकि तेरे नाम की सिताइश करूँ। जब तू मेरे साथ भलाई करेगा तो रास्तबाज़ मेरे इर्दगिर्द जमा हो जाएँगे। |
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