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1. | ज़ियारत का गीत। ऐ रब्ब, न मेरा दिल घमंडी है, न मेरी आँखें मग़रूर हैं। जो बातें इतनी अज़ीम और हैरानकुन हैं कि मैं उन से निपट नहीं सकता उन्हें मैं नहीं छेड़ता। |
2. | यक़ीनन मैं ने अपनी जान को राहत और सुकून दिलाया है, और अब वह माँ की गोद में बैठे छोटे बच्चे की मानिन्द है, हाँ मेरी जान छोटे बच्चे की मानिन्द है। |
3. | ऐ इस्राईल, अब से अबद तक रब्ब के इन्तिज़ार में रह! |
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