Psalms (13/150)  

1. दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ रब्ब, कब तक? क्या तू मुझे अबद तक भूला रहेगा? तू कब तक अपना चिहरा मुझ से छुपाए रखेगा?
2. मेरी जान कब तक परेशानियों में मुब्तला रहे, मेरा दिल कब तक रोज़-ब-रोज़ दुख उठाता रहे? मेरा दुश्मन कब तक मुझ पर ग़ालिब रहेगा?
3. ऐ रब्ब मेरे ख़ुदा, मुझ पर नज़र डाल कर मेरी सुन! मेरी आँखों को रौशन कर, वर्ना मैं मौत की नींद सो जाऊँगा।
4. तब मेरा दुश्मन कहेगा, “मैं उस पर ग़ालिब आ गया हूँ!” और मेरे मुख़ालिफ़ शादियाना बजाएँगे कि मैं हिल गया हूँ।
5. लेकिन मैं तेरी शफ़्क़त पर भरोसा रखता हूँ, मेरा दिल तेरी नजात देख कर ख़ुशी मनाएगा।
6. मैं रब्ब की तम्जीद में गीत गाऊँगा, क्यूँकि उस ने मुझ पर एह्सान किया है।

  Psalms (13/150)