Psalms (128/150)  

1. ज़ियारत का गीत। मुबारक है वह जो रब्ब का ख़ौफ़ मान कर उस की राहों पर चलता है।
2. यक़ीनन तू अपनी मेहनत का फल खाएगा। मुबारक हो, क्यूँकि तू काम्याब होगा।
3. घर में तेरी बीवी अंगूर की फलदार बेल की मानिन्द होगी, और तेरे बेटे मेज़ के इर्दगिर्द बैठ कर ज़ैतून की ताज़ा शाख़ों की मानिन्द होंगे।
4. जो आदमी रब्ब का ख़ौफ़ माने उसे ऐसी ही बर्कत मिलेगी।
5. रब्ब तुझे कोह-ए-सिय्यून से बर्कत दे। वह करे कि तू जीते जी यरूशलम की ख़ुशहाली देखे,
6. कि तू अपने पोतों-नवासों को भी देखे। इस्राईल की सलामती हो!

  Psalms (128/150)