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| 1. | ज़ियारत का गीत। मुबारक है वह जो रब्ब का ख़ौफ़ मान कर उस की राहों पर चलता है। | 
| 2. | यक़ीनन तू अपनी मेहनत का फल खाएगा। मुबारक हो, क्यूँकि तू काम्याब होगा। | 
| 3. | घर में तेरी बीवी अंगूर की फलदार बेल की मानिन्द होगी, और तेरे बेटे मेज़ के इर्दगिर्द बैठ कर ज़ैतून की ताज़ा शाख़ों की मानिन्द होंगे। | 
| 4. | जो आदमी रब्ब का ख़ौफ़ माने उसे ऐसी ही बर्कत मिलेगी। | 
| 5. | रब्ब तुझे कोह-ए-सिय्यून से बर्कत दे। वह करे कि तू जीते जी यरूशलम की ख़ुशहाली देखे, | 
| 6. | कि तू अपने पोतों-नवासों को भी देखे। इस्राईल की सलामती हो! | 
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