Psalms (127/150)  

1. सुलेमान का ज़ियारत का गीत। अगर रब्ब घर को तामीर न करे तो उस पर काम करने वालों की मेहनत अबस है। अगर रब्ब शहर की पहरादारी न करे तो इन्सानी पहरेदारों की निगहबानी अबस है।
2. यह भी अबस है कि तुम सुब्ह-सवेरे उठो और पूरे दिन मेहनत-मशक़्क़त के साथ रोज़ी कमा कर रात गए सो जाओ। क्यूँकि जो अल्लाह को पियारे हैं उन्हें वह उन की ज़रूरियात उन के सोते में पूरी कर देता है।
3. बच्चे ऐसी नेमत हैं जो हम मीरास में रब्ब से पाते हैं, औलाद एक अज्र है जो वही हमें देता है।
4. जवानी में पैदा हुए बेटे सूर्मे के हाथ में तीरों की मानिन्द हैं।
5. मुबारक है वह आदमी जिस का तर्कश उन से भरा है। जब वह शहर के दरवाज़े पर अपने दुश्मनों से झगड़ेगा तो शर्मिन्दा नहीं होगा।

  Psalms (127/150)