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1. | सुलेमान का ज़ियारत का गीत। अगर रब्ब घर को तामीर न करे तो उस पर काम करने वालों की मेहनत अबस है। अगर रब्ब शहर की पहरादारी न करे तो इन्सानी पहरेदारों की निगहबानी अबस है। |
2. | यह भी अबस है कि तुम सुब्ह-सवेरे उठो और पूरे दिन मेहनत-मशक़्क़त के साथ रोज़ी कमा कर रात गए सो जाओ। क्यूँकि जो अल्लाह को पियारे हैं उन्हें वह उन की ज़रूरियात उन के सोते में पूरी कर देता है। |
3. | बच्चे ऐसी नेमत हैं जो हम मीरास में रब्ब से पाते हैं, औलाद एक अज्र है जो वही हमें देता है। |
4. | जवानी में पैदा हुए बेटे सूर्मे के हाथ में तीरों की मानिन्द हैं। |
5. | मुबारक है वह आदमी जिस का तर्कश उन से भरा है। जब वह शहर के दरवाज़े पर अपने दुश्मनों से झगड़ेगा तो शर्मिन्दा नहीं होगा। |
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