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1. | ज़ियारत का गीत। जो रब्ब पर भरोसा रखते हैं वह कोह-ए-सिय्यून की मानिन्द हैं जो कभी नहीं डगमगाता बल्कि अबद तक क़ाइम रहता है। |
2. | जिस तरह यरूशलम पहाड़ों से घिरा रहता है उसी तरह रब्ब अपनी क़ौम को अब से अबद तक चारों तरफ़ से मह्फ़ूज़ रखता है। |
3. | क्यूँकि बेदीनों की रास्तबाज़ों की मीरास पर हुकूमत नहीं रहेगी, ऐसा न हो कि रास्तबाज़ बदकारी करने की आज़्माइश में पड़ जाएँ। |
4. | ऐ रब्ब, उन से भलाई कर जो नेक हैं, जो दिल से सीधी राह पर चलते हैं। |
5. | लेकिन जो भटक कर अपनी टेढ़ी-मेढ़ी राहों पर चलते हैं उन्हें रब्ब बदकारों के साथ ख़ारिज कर दे। इस्राईल की सलामती हो! |
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