Psalms (114/150)  

1. जब इस्राईल मिस्र से रवाना हुआ और याक़ूब का घराना अजनबी ज़बान बोलने वाली क़ौम से निकल आया
2. तो यहूदाह अल्लाह का मक़्दिस बन गया और इस्राईल उस की बादशाही।
3. यह देख कर समुन्दर भाग गया और दरया-ए-यर्दन पीछे हट गया।
4. पहाड़ मेंढों की तरह कूदने और पहाड़ियाँ जवान भेड़-बक्रियों की तरह फाँदने लगीं।
5. ऐ समुन्दर, क्या हुआ कि तू भाग गया है? ऐ यर्दन, क्या हुआ कि तू पीछे हट गया है?
6. ऐ पहाड़ो, क्या हुआ कि तुम मेंढों की तरह कूदने लगे हो? ऐ पहाड़ियो, क्या हुआ कि तुम जवान भेड़-बक्रियों की तरह फाँदने लगी हो?
7. ऐ ज़मीन, रब्ब के हुज़ूर, याक़ूब के ख़ुदा के हुज़ूर लरज़ उठ,
8. उस के सामने थरथरा जिस ने चटान को जोहड़ में और सख़्त पत्थर को चश्मे में बदल दिया।

  Psalms (114/150)