← Psalms (103/150) → |
1. | दाऊद का ज़बूर। ऐ मेरी जान, रब्ब की सिताइश कर! मेरा रग-ओ-रेशा उस के क़ुद्दूस नाम की हम्द करे! |
2. | ऐ मेरी जान, रब्ब की सिताइश कर और जो कुछ उस ने तेरे लिए किया है उसे भूल न जा। |
3. | क्यूँकि वह तेरे तमाम गुनाहों को मुआफ़ करता, तुझे तमाम बीमारियों से शिफ़ा देता है। |
4. | वह इवज़ाना दे कर तेरी जान को मौत के गढ़े से छुड़ा लेता, तेरे सर को अपनी शफ़्क़त और रहमत के ताज से आरास्ता करता है। |
5. | वह तेरी ज़िन्दगी को अच्छी चीज़ों से सेर करता है, और तू दुबारा जवान हो कर उक़ाब की सी तक़वियत पाता है। |
6. | रब्ब तमाम मज़्लूमों के लिए रास्ती और इन्साफ़ क़ाइम करता है। |
7. | उस ने अपनी राहें मूसा पर और अपने अज़ीम काम इस्राईलियों पर ज़ाहिर किए। |
8. | रब्ब रहीम और मेहरबान है, वह तहम्मुल और शफ़्क़त से भरपूर है। |
9. | न वह हमेशा डाँटता रहेगा, न अबद तक नाराज़ रहेगा। |
10. | न वह हमारी ख़ताओं के मुताबिक़ सज़ा देता, न हमारे गुनाहों का मुनासिब अज्र देता है। |
11. | क्यूँकि जितना बुलन्द आस्मान है, उतनी ही अज़ीम उस की शफ़्क़त उन पर है जो उस का ख़ौफ़ मानते हैं। |
12. | जितनी दूर मशरिक़ मग़रिब से है उतना ही उस ने हमारे क़ुसूर हम से दूर कर दिए हैं। |
13. | जिस तरह बाप अपने बच्चों पर तरस खाता है उसी तरह रब्ब उन पर तरस खाता है जो उस का ख़ौफ़ मानते हैं। |
14. | क्यूँकि वह हमारी साख़्त जानता है, उसे याद है कि हम ख़ाक ही हैं। |
15. | इन्सान के दिन घास की मानिन्द हैं, और वह जंगली फूल की तरह ही फलता फूलता है। |
16. | जब उस पर से हवा गुज़रे तो वह नहीं रहता, और उस के नाम-ओ-निशान का भी पता नहीं चलता। |
17. | लेकिन जो रब्ब का ख़ौफ़ मानें उन पर वह हमेशा तक मेहरबानी करेगा, वह अपनी रास्ती उन के पोतों और नवासों पर भी ज़ाहिर करेगा। |
18. | शर्त यह है कि वह उस के अह्द के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारें और ध्यान से उस के अह्काम पर अमल करें। |
19. | रब्ब ने आस्मान पर अपना तख़्त क़ाइम किया है, और उस की बादशाही सब पर हुकूमत करती है। |
20. | ऐ रब्ब के फ़रिश्तो, उस के ताक़तवर सूर्माओ, जो उस के फ़रमान पूरे करते हो ताकि उस का कलाम माना जाए, रब्ब की सिताइश करो! |
21. | ऐ तमाम लश्करो, तुम सब जो उस के ख़ादिम हो और उस की मर्ज़ी पूरी करते हो, रब्ब की सिताइश करो! |
22. | तुम सब जिन्हें उस ने बनाया, रब्ब की सिताइश करो! उस की सल्तनत की हर जगह पर उस की तम्जीद करो। ऐ मेरी जान, रब्ब की सिताइश कर! |
← Psalms (103/150) → |