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1. | दाऊद का ज़बूर। मैं शफ़्क़त और इन्साफ़ का गीत गाऊँगा। ऐ रब्ब, मैं तेरी मद्हसराई करूँगा। |
2. | मैं बड़ी एहतियात से बेइल्ज़ाम राह पर चलूँगा। लेकिन तू कब मेरे पास आएगा? मैं ख़ुलूसदिली से अपने घर में ज़िन्दगी गुज़ारूँगा। |
3. | मैं शरारत की बात अपने सामने नहीं रखता और बुरी हर्कतों से नफ़रत करता हूँ। ऐसी चीज़ें मेरे साथ लिपट न जाएँ। |
4. | झूटा दिल मुझ से दूर रहे। मैं बुराई को जानना ही नहीं चाहता। |
5. | जो चुपके से अपने पड़ोसी पर तुहमत लगाए उसे मैं ख़ामोश कराऊँगा, जिस की आँखें मग़रूर और दिल मुतकब्बिर हो उसे बर्दाश्त नहीं करूँगा। |
6. | मेरी आँखें मुल्क के वफ़ादारों पर लगी रहती हैं ताकि वह मेरे साथ रहें। जो बेइल्ज़ाम राह पर चले वही मेरी ख़िदमत करे। |
7. | धोकेबाज़ मेरे घर में न ठहरे, झूट बोलने वाला मेरी मौजूदगी में क़ाइम न रहे। |
8. | हर सुब्ह को मैं मुल्क के तमाम बेदीनों को ख़ामोश कराऊँगा ताकि तमाम बदकारों को रब्ब के शहर में से मिटाया जाए। |
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