Psalms (10/150)  

1. ऐ रब्ब, तू इतना दूर क्यूँ खड़ा है? मुसीबत के वक़्त तू अपने आप को पोशीदा क्यूँ रखता है?
2. बेदीन तकब्बुर से मुसीबतज़दों के पीछे लग गए हैं, और अब बेचारे उन के जालों में उलझने लगे हैं।
3. क्यूँकि बेदीन अपनी दिली आर्ज़ूओं पर शेख़ी मारता है, और नाजाइज़ नफ़ा कमाने वाला लानत करके रब्ब को हक़ीर जानता है।
4. बेदीन ग़रूर से फूल कर कहता है, “अल्लाह मुझ से जवाबतलबी नहीं करेगा।” उस के तमाम ख़यालात इस बात पर मब्नी हैं कि कोई ख़ुदा नहीं है।
5. जो कुछ भी करे उस में वह काम्याब है। तेरी अदालतें उसे बुलन्दियों में कहीं दूर लगती हैं जबकि वह अपने तमाम मुख़ालिफ़ों के ख़िलाफ़ फुंकारता है।
6. दिल में वह सोचता है, “मैं कभी नहीं डगमगाऊँगा, नसल-दर-नसल मुसीबत के पंजों से बचा रहूँगा।”
7. उस का मुँह लानतों, फ़रेब और ज़ुल्म से भरा रहता, उस की ज़बान नुक़्सान और आफ़त पहुँचाने के लिए तय्यार रहती है।
8. वह आबादियों के क़रीब ताक में बैठ कर चुपके से बेगुनाहों को मार डालता है, उस की आँखें बदक़िस्मतों की घात में रहती हैं।
9. जंगल में बैठे शेरबबर की तरह ताक में रह कर वह मुसीबतज़दा पर हम्ला करने का मौक़ा ढूँडता है। जब उसे पकड़ ले तो उसे अपने जाल में घसीट कर ले जाता है।
10. उस के शिकार पाश पाश हो कर झुक जाते हैं, बेचारे उस की ज़बरदस्त ताक़त की ज़द में आ कर गिर जाते हैं।
11. तब वह दिल में कहता है, “अल्लाह भूल गया है, उस ने अपना चिहरा छुपा लिया है, उसे यह कभी नज़र नहीं आएगा।”
12. ऐ रब्ब, उठ! ऐ अल्लाह, अपना हाथ उठा कर नाचारों की मदद कर और उन्हें न भूल।
13. बेदीन अल्लाह की तह्क़ीर क्यूँ करे, वह दिल में क्यूँ कहे, “अल्लाह मुझ से जवाब तलब नहीं करेगा”?
14. ऐ अल्लाह, हक़ीक़त में तू यह सब कुछ देखता है। तू हमारी तक्लीफ़ और परेशानी पर ध्यान दे कर मुनासिब जवाब देगा। नाचार अपना मुआमला तुझ पर छोड़ देता है, क्यूँकि तू यतीमों का मददगार है।
15. शरीर और बेदीन आदमी का बाज़ू तोड़ दे! उस से उस की शरारतों की जवाबतलबी कर ताकि उस का पूरा असर मिट जाए।
16. रब्ब अबद तक बादशाह है। उस के मुल्क से दीगर अक़्वाम ग़ाइब हो गई हैं।
17. ऐ रब्ब, तू ने नाचारों की आर्ज़ू सुन ली है। तू उन के दिलों को मज़्बूत करेगा और उन पर ध्यान दे कर
18. यतीमों और मज़्लूमों का इन्साफ़ करेगा ताकि आइन्दा कोई भी इन्सान मुल्क में दह्शत न फैलाए।

  Psalms (10/150)